Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka

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Page 141
________________ * Fare के थ* सम्पक्त्वकौमुदी कथा । क + रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत गद्य पत्र संख्या ८० साइज १२०५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३० - ३६ अक्षर । लिपि संवत् १५८२. लिषिस्थान चंपावती नगरी ! प्रति नं० २. पत्र संख्या ५१. साइज ६x४ || इञ्च । उ 2. प्रति नं० ३. पत्र संख्या ११५. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १६६२. प्रति नं० ४. पत्र संख्या ७१. साइज ११४४|| इ | लिपि संवत् १६०७. प्रति नं० ५. पत्र संख्या ४५. सांइजे ११४५ इव । प्रति नं० ६ पत्र संख्या ६२. साइज १० ||५|| इञ्च । लिपि संवत् १५७६. प्रति नं० ७ पत्र संख्या ११३. साइज ११||४५ इञ्च । लिपि संवत् १५६६. प्रति जीर्ण शीर्ण । प्रति नं० ८ पत्र संख्या ४२. साइज ११x६ इलिपि संवत् १८३ सम्यक्त्वकौमुदी । पत्र रचयिता श्रीः खेला। भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६६: साइज १०५५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां तथा प्रतिः पंक्ति में ३६-४० अक्षर । लिपि संवत् १७६३ प्रतिनं पत्र संख्या १०२. साइज ११४४|| इश्र्व । प्रति श्रपूर्ण तथा जीणं शीर्ण अवस्था में है । प्रति ० ३. पत्र संख्या ६१. साइज १२४५|| इन | लिपि संवत् २७६३. लिपिस्थान जहानाबाद जयसिंहपुर | लिपिकार पं० दयाराम । د. सम्यक्त्व कौमुदी | { 37 रचयिता श्री गुणाकरसूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३५ साइज (१०॥४४॥ इव । लिपि संवत् १६६९. श्री कर्म तिलक के शिष्य श्री ज्ञानतिलक ने ग्रंथ की प्रतिलिपि करवाई : ne प्रति नं० २. पत्र संख्या ३८. साइज १०x४॥ इव । लिपिसंवत् १७६७ भट्टारक श्री महेन्द्रकीप्ति के शासन काल में पं० गोरधनदास के लिए ग्रन्थ की प्रतिलिपि की गयी । प्रति नं० ३. पत्र संख्या २५, साइज ११४५ इन । प्रति अपूर्ण है । २५ से आगे के पृष्ट नहीं हैं। 67 SEAR SE ܝ 1 A सम्यक्त्व भेद प्रकरण | जि-जव रचयिता अज्ञात | भाषा प्राकृत | पत्र संख्या ६. साइज ११||४५ इब्न | गाथा संख्या ६८. ご .: 13 एक सौ तेतीस BR ܐ ܐ ܕܘ܂ 7.7 सम्यक्त्वरास | -: M • रचयिता ब्रह्म श्री जिनवास । भाषा २६. साइज १०x४॥ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां तथा " 15 : 7

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