Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर डार के प्रन्थ
को कोई नुकसान नहीं हुआ। लिपि स्पष्ट और सुन्दर है ।
प्रति ० ५ पत्र संख्या ११२. साइज १०॥१४४॥ लिपिसंवत् नहीं है । दशसर्ग है । पुस्तक के प्रायः
सभी कागज कोने में सेफ गये हैं । लिपि सुन्दर और स्पष्ट
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प्रति नं० ६. पत्र संख्या ११५ साउन २०x४|| इव । लिपि संवत् १६७७ माघ सुदी १२. भट्टारक श्री देवेन्द्रकोर्त्ति की भेट के लिये अन्य की प्रतिलिपि हुई थी ।
प्रति नं० ७. पत्र संख्या = साइज
इव ।
वां पृष्ठ आया फंटा हुआ है। प्रति नं० = पत्र संख्या १०० साइज १०३ ॥ इ । लिपि संवत् १५१७ माघ बुदी प्रतिपदा ।
सुदर्शन परित्र ।
रखति भट्टारक श्री सकलकीति । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३१. साइज १२४२ । लिपि संवत् १८३८.
प्रति २० २, पत्र संख्या २७ साइज ११||४५ इव । लिपि संवत् १६२१. भट्टारक सुमतिकीर्त्तिके समय में मुनि श्री बीरेन्द्र ने प्रतिलिपि बनाइ |
प्रति २० ३. पत्र संख्या १८. साइज ११||२४|| इश्र्व | प्रति अपूर्ण है तथा जीणं हो चुकी हैं। प्रति १० ४. पत्र संख्या २७. साइज १२०५ इ । लिपि संवत् १६२१. लिपिकता श्री मुनि बीरेन्द्र | सुदर्शन राम्रो ।
रचयिता
राइमल | भाषा हिन्दी | पत्र संख्या ३०. साइज ११४५ इञ्च |
प्रति नं० २. पत्र संख्या ११. साइज १२९५ च ।
सुलोचना चरित्र ।
प्रत्यकर्त्ता गरिदेव सेन भाषा | अपभ्रंश । साइज ६।। ४३ । पत्र संख्या ३७८ प्रत्येक पृष्ठ पर ७-६ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २८-३५ अक्षर । लिपिकाच संवत् १५८७, कागज और लिखावट दोनों ही अच्छे है । २८ परिच्छेद है |
प्रति नं० २. पत्र संख्या २४८. साइज ६ || ३ || इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति मैं ३७-४० अक्षर । लिपि संवत् १५६० वैशाख सुदी १३ सोमबार । लिखावट सुन्दर और स्पष्ट है । अन्तिम पत्र कुछ फटा हुआ है।
प्रति नं० ३. पत्र संख्या २७१. साइज ११||४६ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३३-३८ अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १६०४.
एक सौ स