Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आभर भंडार के अन्य *
श्लोकवात्तिक ।
रचयिता आचार्य श्री विद्यानन्दि भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५.५४. साइज ११४६ इञ्च । लिपिसंयन २४६.५. मन्य लोक संख्या २२०००, विषय-तत्वार्थ सूत्र का गद्य में नहा भाष्य है। लिपि सुन्दर और स्पष्ट है।
प्रति ० २. पत्र संख्या ३८८. प्रारम्भ के ३ पृ तथा अन्तिम पृष्ट नहीं है। लिपि सुन्दर है।
श्रावक लक्षण।
रचयिता हित मेधाबी : भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३. माइज ११||४५। इञ्च । पंडित मेघावी के घर्मसंग्रह में से उत्तर अशं लिया गया है। इनमें १ प्रतिमाओं का कयन किया गया है। श्रावकाचार ।
रचयिता श्री पद्मनन्दी । भापा संस्कृत ! पत्र संख्या ४२. साइज ११||४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ३-४२ अक्षर ! लिपि काल संवत १५६४. प्रशस्ति अच्छी दी हुई है।
प्रति नं० २. पत्र संख्या : १. साइज ११४४। इञ्च । लिपि संवत् १६५४ ति० असोज सुदी १०. लिपिस्थान अजमेर।
प्रति नं० ३. पत्र संख्या ७७. प्रति अपूर्ण है।
श्रावकाचार भापा
रचयिता प्राचार्य यमुनन्दि । भाषा प्राकृत हिन्दी । भाषःकार-पंदौलतरामजी। पत्र संख्या १३४. साइज 11 इञ्च । गाथा संख्या ५४६. लिपि संयत् १८०%
श्रावकाचार।
रचयिता ब्रह्म श्रीजिनदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ११||४|| इश्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति क्ति में ३६-१० अक्षर ! लिपि संवत् १८२०. लिपिस्थान वृदावन | श्रावकाचार |
रचयिता श्री पूज्यपाद स्वामी । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ६. साइज ||४|| इञ्च । पद्य संख्या १०३. लिपि संवत् १६७५. लिपिकार पांडे मोइन । लिपि स्थान देवजी । . . . .. .: -
प्रति नं० २. पत्र संख्या ६. साइन १०x४|| इश्च । लिपिसंवत् १६५६.
श्रावकारवार।
सटीक । रचयिता-भट्टारक पद्मनन्दि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज ११४४१। इश्च । लिपि
एक सौ चौवन