Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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___* आमेर डारके ग्रन्थ*
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संवत् १७१२. लिपि स्थान देवपल्यनगर :
श्रावकवतसार।
रचयिता पंडित रघु । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ६१. प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३६-४२ अक्षर । लिपि सत्रत् अज्ञात । प्रश्चन ६१ से आगे के पत्र नहीं है।
श्रावकाचार।
रचयिता पंडित श्रीचन्द। भाषा अपभ्रंश। पत्र संख्या १२३. साइज ११४५ इन्च 1 लिपि संवत् १५८६. लिपिस्थान चंपावती । प्रशस्ति अपूर्ण है। लिविका ने कु वर श्री ईसरदास के शासन काल का उल्लेख किया है। अन्तिम पृष्ठ फटा हुआ है। श्रावकाचारदोहा।
रचयिता अज्ञात । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या ७. साइज १९४५ इञ्च | गाथा संख्या २२३. विपय - सम्यग्दर्शन ज्ञान और चरित्र का वर्णन। . .. .. . श्रीपाल चरित्र। ... :. . . . . .
रचयिता श्री परिमल्ल । भाषा हिन्दी (पद्य)। पत्र संख्या १२५. साइज १०४५। इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या २३००, रचना संवत्-१७ वीं शताब्दी । लिपि संवत १७६४. ग्रन्थ समाप्ति के बाद कवि का परिचय भी दिया हुआ है।
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. . श्रीरालचरित्र ।
रायता पंडित रचू । भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या १२८. साइज १०||४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३५ अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १६३१. लिपिस्थान टोंक । .. प्रति नं०.२. पत्र संख्या १००. साइज Ilx६ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर -१४-२६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में २८-३४ अक्षर ! रचना संवत् १६४६. प्रति अपूर्ण है १०० पृष्ठ से आगे नहीं है। प्रन्थ की भाषा बहुत ही सरल है। श्रीपाल चरित्र ।
रचयिता पडित नरसेन । भाषा प्राकृत। पत्र संख्या ४८, साइज १०४५। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३३-३८ अक्षर । लिपि सवत् १५६६
::-. . प्रति नं० २. पत्र संख्या ३७. साइज़ ११४ा इञ्च । लिपि संवत् १६३२. .....
: एक सौ पचपन