Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के अन्य-*
तोन, कल्याण मन्दिरस्तोत्र, लघुस्नयंभुस्तोत्र. तशा तत्वाधंसूत्र आदि संग्रह हैं। म्वामिकार्तिकेयानुमेक्षा।
भूलकर्ता स्वामीकार्तिकेय । टीकाकार भट्टारक श्री शुभचन्द्र । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या २६०. साइज १२४५ इञ्च । लिपि संवत १७२१, टीकाकार काल संवन १६००. प्रारम्भ के ७३ पृष्ट नहीं है।
प्रति नं० २. पत्र संख्या २७. साइन १.४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। प्रश्रम और अन्तिम पृष्ठ नहीं हैं। प्रति नं० ३. पत्र संख्या २७. माइज १०ilx? इञ्च । प्रति अपूर्ण है। अन्तिम पृष्ट नहीं हैं। प्रति नं० ४. पत्र संख्या ३१. साइज १०४४ ३ञ्च । गाथा संख्या ४६०. मुल मत्र है। प्रति ३. पत्र संख्या २८, साइन tilxen इञ्च ।
स्थानांग सूत्र ।
भाषा प्राकृत । पृष्ठ संख्या ६३. साइज ११४४|| इन्च । प्रति अपूर्ण है। प्रारम्भ के और अन्त के पृष्ठ
नहीं है।
स्वप्नचिंतामणि।
रचयिता श्री जगदेव । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १७. साइज || इञ्च । दो अधिकार है।
अति नं० ५. पृष्ठ संख्या १३. साइज १०||xxl! इञ्च । प्रति अपूर्ण है। १० से १३ तक १५ से आगे के पृष्ठ नहीं है। स्वयम्भू स्तोत्र ।
रचयिता प्राचार्य समंतभद्र । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २२. साइज ११३४॥ इञ्च । लिपि संवत् १७१७. लिपि स्थान कृष्णगढ लिपिकर्ती प्राचार्य श्री गुणचन्द्र ।। स्वरूप संवोधन पंचविंशति ।
रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ८. पद्य संख्या २६. साइन १०x४॥ इश्च । विषयआत्मचिन्तवन । प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है। टीकाकार का उल्लेख नहीं मिलता है।।
__ प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या ६. साइज ११४४।। इञ्च | लिपि संवत् १७०६ भादपद सुदी १. श्री शील': सागर ने अपने पढने के लिये प्रतिलिपि बनाई थो । ....... .... ......
प्रति न० ३. पत्र संख्या २. साइज ११||५|| इञ्च । केवल टिप्परिण मात्र है।
एक सौ उनचास