Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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# आमेर भंडार के अन्य *
सर्वार्थसिद्धि ।
रचयिता श्री पृय पाद भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ११५. साज १८x१| इन्न । लिपिसंवत् १८३३. लिपि स्थान जयपुर । भट्टारक श्री मन्द्रकीर्ति के शिष्य भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीति ने पढ़ने के लिये प्रतिलिपि तैबार की।
प्रति नं० २, पत्र संख्या ४. साइज ||1इन्च : प्रतिलिपि संवत् १५५८ । भट्टारक श्री लिनचंद्र के समय में ग्रन्थ को प्रतिलिपि हुई। अन्य समाप्त होने के पश्चान संवन १८३३ भी दिया हुआ है । श्री निहालचंद्रन यज ने दनलक्षात्र के उद्यापन के लिये ग्रन्थ को नन्दिर में विराजमान किया।
सहस्रगुणित पूजा ।
रचयिता अज्ञात । भापा संस्कृत । पत्र संख्या १२. साइज १२४५।। इञ्च । लिपि संथन् १७१०. प्रनि अपूर्ण है। प्रारम्भ के ५ पृष्ट नहीं हैं। सागार धर्मामृत।
रचयिता श्री १० अपार ! वापर शकुन मा. पावज १०x४|| रश्च । रचना संवत् | १२६६. लिांच संघन १:२५. कुमुदचन्द्रिका नाम की टीका भी है। अन्त में कवि ने एक विस्तृत प्रशस्ति दे रखी है।
प्रति नं०२. पत्र संख्या ३१. माइज olx. इञ्च ।
इति नं. ३. पत्र संख्या १६. साइज १०४।। इञ्च । लिपि संवन १६१५. लिपिस्थान तक्षकगढ़ महादुर्ग।
प्रति नं. ४. पत्र संख्या ४५. साइज ११||४|| इञ्च । प्रति अपूर्ण । ४५ से आगे के पृष्ट नहीं है। कागज चिप गये है।
प्रति नं० ५. पत्र संख्या ३२. साइन allxx| इञ्च । लिपि संवत् १५२८, । सांरव्य सप्तति ।
स्चयिता श्री कपिल । भाषा सं कृत । पत्र संख्या ५. साइन ||३|| इश्व | विषय-सांख्य दर्शन के सिद्धान्तों का वर्णन । लिपि संवत १४२७ श्रावण सुदी ३.
प्रति न० २. पत्र संख्या 2. साइज ६४३।। इञ्च । लिपि संवत् १४२७ श्रावण सुदौ ८. ..... | सामायिक पाठ सटीका
भाषा संस्कृत। पृष्ठ संख्या ४८. साइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० . . . . ... ... .
एक सौ अडतीस