Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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समवशरण स्तोत्र |
* आमेर भंडार के प्रन्थ
पंडित श्री महारय विरचित। भाषा प्राकृत | पत्र संख्या ५. लोकसंख्या ५२. प्रथम नहीं है।
समस्यास्तवक |
रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या १५, भाषा संस्कृत | साइज ११।। ४५ । लिपि संवत १५४१. लिपिकर्ता पं० महाख्य । लिपि स्थान नागपुर |
समाधितंत्र भाषा |
रचयिता अज्ञात | भाषा हिन्दी पद्य । पत्र संख्या १४४. साइज १०|| ४४ इञ्च | भाषा अशुद्ध है और अक्षर अस्पष्ट है। ऐसा मालूम होता है मानों किसी अनपढ व्यक्ति ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि की हो । प्रति पूर्ण है अन्त के पृष्ठ घटते हैं ।
समातिन्त्र भाषा |
भाषाकार श्री पर्वत । ३ संख्या २८१ साइज ११०४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर = पंक्तियां और प्रत पंक्ति में २८-३४ अक्षर ।
प्रति नं० २. पत्र संख्या १४६. साइज १०||४५ इव । प्रति अपूर्ण १४६ से आगे पृष्ठ नहीं हैं ।
प्रति नं० ३. पत्र संख्या २५६. साइज १०x६ इ । लिपि संवत् १८०५.
प्रति नं० ४. पत्र संख्या २३६ साउन ६४५ इव । लिपि संवत् १७०५ लिपिस्थान चंपावती । लिपि कराने वाला - श्रामिल साह श्री बलूजी । प्रन्थ उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है ।
समाधिशतक ।
रचयिता श्री पूज्यपाद स्वामी । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३२. साइज १० ||२४|| इव । प्रति सटीक
है । टीकाकार श्री पंडित प्रभाचंद्र । टीका संस्कृत में है । मन्थ ठीक अवस्था में है।
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प्रति नं० २. पत्र संख्या ६ साइज १०x४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है अन्तिम पृष्ठ नहीं है प्रति नं० ३. पत्र संख्या १०. साइज ११x४ || इव । लिपि संवत् १७४४.
प्रति नं० ४ पत्र संख्या १०. साइज ११०५ इश्र्व । प्रति अपूर्ण है अन्तिम पृष्ठ नहीं है ।
समुदायस्तोत्र वृत्ति |
टीकाकार भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्त्ति। भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ८४. साइज १२४५ इष्ट । धनेक स्तोत्रों की व्याख्या दी हुई है ।
एक सौ सैंतीस