Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के मय *
प्रति पंक्ति में २५-३० अगर । प्रथम पृष्ठ नहीं है। सत्यक्त्व अन्ततिः ।
नमिता श्रीनिवाल, जूरी : भान नामल । म संख्या १२.१. साइज १२४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां ५-६४ अज़र । ग्रंथ समाप्त होने के पश्चात अच्छी प्रशस्ति भी दे रखी है.. प्रथम दो पृच नहीं हैं।
प्रति न०, २, पृष्ट नव्या ११६. साइज १०/x? इञ्च । प्रतिः अपूर्ण है। प्रथम तीन तथा अन्त के कुछ नहीं है। ध्या प्रयोग स्तोत्र ।
रचयिता अज्ञातः। भाषा संस्कृतः। पत्र संख्या १६. साइज. ६x४, इञ्च ।। समति जिन चरित्रः ।।
___ रचयिता, पंडित: रइथू। भाषा अपभ्रांश ।। पत्रा संस्था १२६, साइजा ११४५३।। इञ्चा। प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में, ३२-३६. अक्षर । जिपि संदन: १६२४:. श्री माथुरान्वच, पुष्करगण के भट्टारक श्री. यशकाति, के समय में, बाई जीवो, ने, अन्य को प्रतिलिपि कराई । लिपिकत्ता पंडितः पारसनासः । अन्त में: स्वयं कवि, वारा, प्रशस्ति दी हुई है। संस्कृत मंजगी॥
रचयिता: अज्ञातः । भाषा संस्कृतः पयः। पत्रा संख्या: १. साइज १०x४। इस ॥ विषय-सा हल्यिक। लिपि संवत् १७१५. मट्टारक नरेन्द्रकीति, के शिष्य, अराज, ने, प्रति लिपि की. 1.
प्रति नं०.२. पत्र संख्या: ६, साइज Ext लिपि संत्र न १७१४: ल्लितिस्थानासंग्रामपुर !! ...: . प्रति नं० ३. स. इ. ११/४५] पत्र संख्या .. सभातरंगा
रचयिता अज्ञातः। भाषा संस्कृतः। पत्र संख्या ४२.. साइजः ११६x४'इश्चः। विषय-बन्दशास्त्रा.... लिपिकाल-संवत् १८४३. भट्टारक श्री सुरेन्दकी ति ने स्वयं के अध्ययनार्य प्रन्थ की लिरी की है.
संवत्सर ।
रचबिता अज्ञात । भाषा हिन्दी पत्र संख्या २२. साइजः ११४५५ इञ्च। लिपि, संवा १८३१.. पुस्तकः । [ में, संवना १८०२ से। १६००. ता. ज्योतिषःशास्त्र के अनुसार संक्षिप्त में संसार की. हलबलाका वृतान्त खिरखा है।
पक. सौ.चातीस