Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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वसुधरा स्तोत्र |
रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या ७. साइज ११५ || इञ्छ | भाषा संस्कृत ग्रन्थ लोक प्रमाण २१५. लक्ष्मीदेवी की स्तुति की गयी है । प्रति शुद्ध, सुन्दर और स्पष्ट है।
प्रति नं० २. पत्र संख्या ५. साइज
!
* आमेर भंडार के मन्य *
बाग्भट्टसंहिता |
रचयिता श्री वाग्भट्ट | भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १३६. साइज १३४५ || इञ्च । लिपि संवत् २=४=. विषय- आयुर्वेद ।
बारमडालंकार ।
और हैं
रचयिता श्रीमद् वाग्भट्ट । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १५. साइज १२५ ३ । सात प्रतियां
प्रति नं० २ पत्र संख्या १४. साइज ११||४|| इञ्च |
प्रति नं० ३. पत्र संख्या ११. साइज १०||४४ इव । लिपि स्थान विक्रम नगर ।
प्रति नं० ४. पत्र संख्या २४. साइज १०|| ४ || इव । लिपि संवत् १७७३.
प्रति नं० ५ पत्र संख्या १४, साइज १०||४|| इन
प्रति नं० ६. पत्र संख्या ४८ साइज १०x४ || इव । प्रति सटीक है। लिपि संवत् १६४६.
प्रति नं० ७. पत्र संख्या ३७. साइज १०|| ४ || इन । लिपि संवत् १६६५. क्षिपि स्थान द्वादशपुर । लिपिकर्त्ता श्री जगन्नाथ !
प्रति नं०८. पत्र संख्या ३० साइज १०x४|| इछ । लिपि संवत् १६३६. लिपिस्थान रस्थं भगढ़ | लिपिकर्त्ता श्री वेणीदास । लिपिकतों ने सम्राट अकबर के शासन काल का उल्लेख किया है ।
वाराही संहिता |
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रचयिता अज्ञात भाषा संस्कृत | पत्र संख्या १३६. साइज १०x४ । पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-४० अक्षर । प्रति अपूर्ण । १३६ से आगे के पृष्ठ नहीं
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प्रत्येक पृष्ठ पर ११
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वास्तुकुमार पूजा |
पवन सि
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" रचयिता श्रज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ५. साइज ११०५ इव । लिपि संवत् १८३६. भट्टारक श्री सुरेन्द्रकीर्त्ति ने अपने हाथों से प्रतिलिपि बनायी ।