Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के समय *
प्रति नं० २. पत्र संख्या ६१. माइज १२x६ इञ्च । प्रति जी शीर्ण है। दीमक ने बहुत पृष्ठों को ! खा लिया है।
प्रति नं०३. पत्र संख्या १७७. साइज १०x४|| इश्च । मेघदन ।
रचयिता-महाकवि कालिदास । टीकाकार श्री लक्ष्मी निवास । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २५. साइज (0) इश्च । इस प्रति के अतिरिक्त १२ प्रतियां और हैं। मेवमाला व्रतोद्यापन पूजा।
रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २.' साइज ११४५।। इञ्च । लिरिसंवत् १८३६. लिपिकार भट्टारक श्री सुरेन्द्र की ति । लिपिस्थान माधोपुर (जयपुर) । मेघमालावताख्यानक ।
रचयिना अज्ञात । पत्र संख्या ६. साइज १०४ाञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० क्त वा तथा प्रति पक्ति में २२-२६ अक्षर। मेयर र चरित्र ।
अन्यकर्ता श्री पंडित र यथ । साइज ७४३ इञ्च । प्रत्यफ पृष्ठ पर १० पंक्तियों और प्रति पंक्ति में ३१-३५ अार | पत्र संख्य १७३. प्रारम्भ के २१ पृष्ट नहीं हैं। अन्य जीर्ण है पर अधिक नहीं । प्रतिलिपि संवत् १५६६. भाषा अभ्रश । १३ परिच्छेद है। ग्रन्थ के अन्त भाग में एक अधूरी प्रशस्ति द हुई है जिससे केवल भट्टारक गुणभद्र का नाम तथा अन्ध लिखवाने वाले के वंश का नाम ही मालूम हो सकता है।
प्रति नं० २. साइज ५४३।। इञ्च । पत्र संख्या १५६. लिपिकाल संवत् १६:६. पत्र जीणं प्रायः हैं। बहुत से पत्रों के कितने ही अक्षर स्याही फिरने के कारण पड़ने में नहीं पाते । प्रारम्भ के ५ पत्रों का कुछ
भाग दीमक ने खा लिया है। प्रशस्ति अधूरी है। । मदनी कोष । ...
रचयिता श्री मेदनी । भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ११२. साइज Exe|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ३५-४० अक्षर । मृगांक चरित्र । ... समांक चारत्र । .... ... ... .. .. .... ::: :.:
रचयिता पं० भगवतीदास । भाषा अपभ्रंश। पत्र संख्या ५४. साइज ११४६ इच। प्रत्येक पृष्ठ पर
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एक सौ चौदह