Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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१० पंक्तियां और प्रति पंक्ति प्रशस्ति भी है।
* आमेर भंडार के प्रत्य *
३०-३५ अक्षर | लिपिसंवत् १७०० परिच्छेद ४. कागज मोटे हैं
मृगावती चरित्र |
रचयिता स्कलचन्द्र भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३०. साइज १०x४ | रचना संवत् १६२८. लिपि संवत् १६० लिपिस्थान मालपुरा ।।
अन्तिम पठ
यति क्रियाकलाप |
रचयिता श्री प्रभाचन्द्रदेव । भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या १२०. साइज १२४६ इन्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा गति पंक्ति में ४८-५४ अक्षर लिपि संवत् १५७७ संघपति जगती के पुत्र कल्याणमल ने ग्रंथ की प्रतिलिपि करवाई |
मंगलाचरण---
य
- जिनेन्द्र मुन्मीलितकर्मषं प्रणम्य सन्मार्गकृतस्वरूपं । अनंतबोधादिभवं खोध कियाकलाप प्रकटं प्रवक्ष्ये ॥
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श्रीमद् गौतम नमामि गंगधरैलोकत्रयोद्योतकैः । सव्यक्त सकुलोद्यसौ यतिपतेयेतिप्रभा चन्द्रतः ||१||
मंत्रराज ग्रंथ |
रचयिता श्री महेन्द्र भाषा संस्कृत पत्र संख्या ४९. साइज २०१५ इञ्च | लिपि संवत् १६६३. ग्रंथ सटीक है ।
यंत्रराजाराम !
रचयिता श्री मलये दुसूर | भाषा संस्कृत । पृष्ठ संख्या ३६, साइज १०||४ | पांचलिपि संवत् १६४६. प्रथम तीन पृष्ठ नहीं हैं ।
कालिए
यशस्तिलक चम्पू ।
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रचयिता श्री सोमदेवसू रे । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २५६ साइज १०६।४६३ । रचना शुक संवत् १०८ लिपि संवत १८६६.
एक सा पदरह TH