Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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पूजामार ।
रचयिता श्रज्ञात | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ६२. साइज १०llx५ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३६-४२ अक्षर ।
प्रति नं० २
संख्या ७५. साइज ११||४५ इञ्च । लिपि संवत् १५३५. अनेक पूजाओं का
संग्रह है
* आमेर भंडार के ग्रन्थ
पूजापाठ संग्रह |
संग्रहको अज्ञात | भाषा हिन्दी संस्कृत | पत्र २१६. साइज: १२x६ इव । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३७ - ४२ अक्षर । लिपिसंयत् २६०६, लिपिस्थान कोटा ( स्टेट ) ग्रन्थ जिनवाणी संग्रह की तरह हैं। पूजाये, स्तोत्र, पाठ आदि दैनिक जीवन में काम आने वाले तथा अन्य सामग्री हुई है।
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फलादेश 1
रचयिता अज्ञात | पत्र संख्या ६. भाषा संस्कृत | साइज १०x४ || इ | विषय - ज्योतिष । प्रति अपूर्ण आगे के नहीं है !.
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ब्रह्मविलास |
रचयिता श्री भगवतीदास | भाषा हिन्दी । पत्र संख्या = साइज ९१ १४५॥ इव । रचना संवत् १७३३. प्रति अपूखे । = से आगे के पृष्ठ नहीं ।
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'चलभद्रपुरामा ।
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अन्धकार पंडित रघु । साइज ७x४ इञ्च । पत्र संख्या १७२. प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २५-२६ अक्षर । हैं । प्रारम्भ के ४० पत्र कुछ २ फटे हुये हैं लेकिन प्रन्थ भाग सुरक्षित है। प्रतिलिपि चाल स० १६५६, भाषा अपभ्रंश | विषय - श्री रामचन्द्र लक्ष्मण आदि महापुरुषों का जीवन चरित्र । सम्पूर्ण:मथ में ११ परिच्छेद हैं । अन्य के अन्त में प्रशास्ति दी हुई है। जिससे मालूम होता है कि आचार्य. गुणचन्द्र के शिष्य वार्ड सुद्दागो के समय में रूद्दितम के रहने वाले खिउपाल के पुत्र अगरमल ने इस को लिखवाया था ।
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एक. सो. तीन
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