Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आनेर भंडार के पन्ध के
___प्रति ० ३. पत्र संख्या १४०. साइज १३४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ट पर १२ पंक्तिक तथा प्रति पंक्ति पर ४२-४- अक्षर । प्रति अपूर्ण है। प्रथम ११ पृष्ट ११३ से ५०, ५५ से २-६, ६E से ३६ तथा अन्तिम शुष्ट नहीं है।
प्रति नं० . पत्र संख्या ६.१ साइज १०४५।। इञ्च । लिपि संवत् १८५५. लिपि स्थान रोडपुरा ! 1 प्रति नं ५. पत्र संख्या ५१६. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संयत १७५७. इन्द्रगड नगर में महाराजा सरदारसिंह के शासन काल में श्री शिव विमल ने लिखा । प्रति अपूर्ण है । प्रारम्भ के १६७ पृच नहीं है।
अमपुराण ।
ग्रन्थकार भट्टारक श्री धर्मको त्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २५१. साज ११४४|| इञ्च । प्रत्येक पर १३ पक्तियां आर प्रति पंक्ति में ३८४२ अक्षर | लिपि संवत् १६७०.
नपुराण ।
रचयिता श्री चन्द्रकीर्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४१२. साइज ११||४४।। इश्व । प्रत्येक पृष्ठ पर पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३-५४ अक्षर । प्रन्थ बहुत सरल भाषा में लिखा हुआ है। अलंकारों की अधिक भरमार नहीं है।
रचयिता ब्रह्म जिनदातं । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५३०. ११४५|| इन्छ । प्रति प्राचीन है।
लावती स्तोत्र ।
रचयिता अज्ञात ! पत्र संख्या : साइज ७४४11 इञ्च । भाषा संस्कृत । प्रति प्राचीन है।
प्रति नं० २. पत्र संख्या २. साइज ६४४ इञ्च ।
चकल्याणक पूजा।
रचयिता अज्ञात । गंपा संस्कृत | पत्र संख्या २१. साइज ११४४।इञ्च । प्रति नं० २. पत्र संख्या १३. साइज ११||४५ इंश्च । लिपिकार पं० दयाराम । प्रति न० ३. पत्र संख्या १३. साइज ११||४५ इश्च ।
अठ्यासी..