Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* अमेर भंडार के प्रत्यक
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प्रति नं० ७. पृष्ठ संख्या ५४. साइज ११४४।। इन्न । प्रति सटीक है। टीकाकार श्री सुमतिनीति । टीका संस्कृत में है।
प्रति नं० २. पृष्ठ संख्या २१. साइज १०||४|| इश्च । लिपि संवत् १६२१..लिपिस्थान चंपावती। प्रति ०.६. पत्र संख्या १३. साइज ११|४|| इञ्च । प्रति नं. १०. पृष्ठ संख्या १२. साइज ११|४५ इञ्च । अति नं० ११. पृष्ठ संख्या १३. साइज:१२बाइन प्रति नं० १२. पृष्ठ संख्या १८. स इज १२४। इञ्चः।
प्रति न० १३. पृष्ठ संख्या १६. साइज १२x६ इञ्च । कर्मविपाक।
रचयिता भट्टारक श्री सकलकार्ति । भाषा संस्कृत.। पत्र संख्या २०. साइज १०x४i इञ्च । अन्तिम अश
'इति भट्टारक सफल कतिदेवविरचितकर्मविपाक प्रय समाप्तः । महिसासनपुरे दिनाथचैत्यालय ब्रह्म साह साख्येन स्वहस्तेन लिखितः । कर्मस्वरूप।
टीकाकार पं० श्री जगन्नाथ । भाषा प्राकृत-संस्कृत । पत्र संख्या ५१. साइज १:४६।। इञ्च । लिपि संवत २७६८. श्री मिचन्द्राचार्य के गोमट्टसार कर्मकांड नामक प्रधे से प्रमुख २ गाथाओं का संस्कृत में अर्थ लिखा गया है। आदि के पृष्ठ नहीं हैं। किन्दपस्त्र ।
. : -:.-: :: . . . . . .-- . रचयिता श्री भद्रबाहु स्वामी । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या १५७. साइज "20xy इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १५ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में
लिफिसंक्त श्राकृत भाषा से संस्कृत में टोका भी है।
प्रति नं० २. पत्र संख्या ८८ साइज १०||४|| इश्च । लिपि संवत् १५४५. मन्त्री श्री साराक ने श्री बनवनले उपदेश अन्य की प्रतिलिपि मनशायी :: :: :. .:
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