Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के अन्य *
(३j प्रभातिक । भाषा संस्कृत । पद्य संख्या २५. विषय २४ तीर्थकरों की स्तुति । (2नेिन्द्रदर्शन स्तुति। भाषा संस्कृत । पद्य संख्या १०। ( ५ ) परमानन्दस्तोत्र । भाषा संस्कृत । पद्य संख्या २५। . १६) पंचनमस्कार । भाषा संस्कृत । पद्य संख्या १२। ..
७) निर्माण काण्ड । भाषा अपभ्रंश । गाया संख्या २७ । (८ , चार कपाय वर्णन | भाषा अपभ्रंश । (६) नंदीश्वर विधान कथा । भाषा संस्कृत । (:०) सोलहकारण विवानकथा । भाषा संस्कृत । पद्य संख्या ७३ । १११, रोहिणी विधान कथा । भाषा संस्कृत गद्य । (१२) रत्नत्रय कथा । भा० संस्कृत गद्य ।
(१३ दशलक्षण ऋत कथा-" गुइका नं०५०
लिपिकार अज्ञात । भाषा हिन्दी। साइज २०४६ इञ्च । पत्र संख्या १४२. लिपि संवत् १७६२. लिपि स्थान थामेर | श्री देउ साह के पुत्र श्री धमदास के पढने के लिये प्रति लिपि बनायीगई।
गुटके में ये विषय है
सिद्धच ऋगीत, आदिनाथस्तुति, द्वादशानुप्रेक्षा, रत्नत्र वगीत, आदिनाथस्तवन, निरनारिवल, चनडी. धवल, मिथ्याद कड़, च यमोठीगीत, प्रतिवोधगीत, राजुलविरहगीत, बलभद्रगीत, पाणीगालणरास, जिनाष्टक. नेमिांजनरुति, जिनदर्शनस्तुति, धर्मफग, वैराग्यदोदावली, चैतन्यफाग, जीबडागीत, लब्धि विधान कथा. पुष्पाञ्जली विधान कथा, आकारापञ्चमीव्रत कथा, चांदणपष्ठिवत कथा, मोक्षसप्तमी कथा, निर्दोष सप्तमी कया ज्येष्ठजिनवर की पूजा कथा, पुरंदर विधान कथा, अक्षय दशमो ब्रत कथा, मेंडक पूजा कथा, सोलहझारण कथा. तथा आराधना प्रतिबोध कथा, उक्त कथाओं तथा स्तवनों में से कुछ तो ब्रह्म श्री जिनदास के बनाये हुये हैं तथा अन्य के बारे में कुछ नहीं लिखा है। कितने ही स्तवनों की भाषा तो अपभ्रंश भाषा से बात कुछ मिलती है। नीचे हिन्दी भापा के फुछ नमूने दिये जाते हैं।
कंचनीच गोत्र कर्म जी पीउ प्रगटीयो अठारू , लघु ताररे। ..... अव्यायाध गुण आयो ऊजले, गयो गयो वेदनीसाररे ॥ ...
. (सिद्धचक्रगीत )
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सैंतालीस