Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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नववटीका ।
टीकाकार अज्ञात भाषा संस्कृतः । पत्र संख्या १०. साइज १०४५ || इष्ट | लिपि मंत्रः १८२३. विषय-नव महार्थी का नि ।
नव्यशतकावचूरि ।
रचयिता श्री देवेन्द्र सूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २६ साइज १०४९ इख । "लिपि संवत् १७६३. ग्रन्थ न्याय का है
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नामकुमार चरित्र |
रचयिता महाकवि एवं भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ७१. साइज १०/१४४॥ च । प्रत्येक पृष्ठ पर १० पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३-१४ अक्षर |
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* श्रामंर भंडार के अत्य
प्रति नं० २. पत्र संख्या ७० साइज २०१४ इञ्च । लिपि संवत् १६१२. लिपि स्थान तक्षक महा-दुगे। श्राचार्य ललितदेव के समय में खंडेलवालान्वय सा० इ सा० नोता ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि कराई । नागकुमार चरित्र |
रचयिता श्री माल्लि पे सूरि । भाषा संस्कृत | पत्र संख्या ३२. साईज ७२ इञ्च । लिपि संवत १७२६ फाल्गुण बुद्धि ८ ग्रन्थ साधारण हालत में है। लिपि विशेष सुन्दर नहीं है ।
प्रति नं० पत्र संख्या २० साइज ७३॥ इव । भाषा संस्कृत । लिपि काल संवत् १६६८. अन्थ अच्छी हालत में नहीं है। अक्षर सुन्दर है ।
नागकुमारचरित्र |
रचयिता पंडित माणिकराज | भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या १२४. साइज २०४४ || प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३= ४२ अक्षर । प्रतिलिपि संवत् १५६२. ग्रन्थ के अन्त में स्वयं कवि ने अपन . विवरण लिखा है । प्रारम्भ के दो पृष्ठ नहीं हैं।.
नागरी कथा"।
रचयिता ब्रह्मनेमिदत्त | भाषा संस्कृत | पत्र संख्या २२. साइज ||शा इव । प्रत्येक पृष्ठ पर १२ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में २६-३० अक्षर । लिपि संवत् १-२ | विषय - रात्रि भोजन त्यागं की कथा |
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