Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के ग्रन्थ *
लिप संवत् १६७६. काव्य अपूर्ण है ११३ से पूर्व के पृष्ठ नहीं हैं। दर्गपदप्रयोध ।
___ रचयिता श्री हेमचन्द्राचार्य । या संस्कृत । पत्र संख्या ३०. साइज १०x४ इञ्च । लिपि संघन १८१२. आचार्य हेमचन्द्र की लिगानुशासन में से कुछ विषय ले लिया गया है।
व्याख्याकार अज्ञात। भाषा संस्कृत। पत्र संख्या. १८.साइज 2011xच्च ।
दुर्घट श्लोकव्याख्या।
क संख्या ८. प्रति अपूर्ण है। प्रारम्भ के - पृष्ट नहीं है। दुष्टवादिगजांकुश ।
रचयिता श्री सुधारधार । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज ११४५। इञ्च । प्रथम पृष्ठ नहीं है।
दूतांगद नाटक ।
रचयिता श्री सुभद । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज १४ इश्व । लिपि संवत् १५३४. देवसिद्ध पूजा।
रचयिता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ३१. साइज १०||४५ इञ्च । प्रति सटीक है। टीका संस्कृत में है। टोकाकार का नाम कहीं पर भी नहीं लिखा हुआ है। दौर्यसिंह वृत्ति ।
- वृश्चिकार अज्ञात । भाषा संस्कृत। पृष्ठ संख्या १२५ साइज ११४४।। इञ्च । विषय-व्याकरण । सम्पूर्ण ग्रन्थ अष्ट पादों में विभक्त है । लिपि संवत् १६६२. प्रारम्भ के १४ पत्र नहीं है। बीच के बहुत से पृष्ठ फटे हुये हैं। दोहापाहर। ....... .... .. .. . . . . . . .. .
रचयिता प्राचार्य कुन्दकुन्द । भाषा प्राकृत । पत्र संख्या १६. साइज ११||४५ इञ्च । लिपि संवत् १६०२. लिपिकार ने बादशाह शाहआलम का उल्लेख किया है।
तेहत्तर