Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के प्रन्ध
व
धनकुमार न
कर्त्ता पं० । भाषा अपभ्रंश पत्र संख्या ३१. साइज क्ति और प्रत्येक पंक्ति में २-३४ अक्षर लिपि संवत् १६३६ ऋ
प्रशस्ति है ।
धनपालराम ।
अन्तिम
जिनदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ५. साइज २१५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १२
पक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३२-३८ अक्षर लिपि संवत् १८२८ ।
मंगलाचरण
७५३ ॥ ६ । प्रत्येक पृ पर ६ अच्छी हालत में है । अन्त में
वीर जिनवर २ नम्रतेसार तीथकर वो बोलमो । वांछित फल दान दातार सारद सामिए वीनवु ॥ १ ॥
दानतो. फलल्बडों जस वित्तरो अपार ।
धनपाल साह को निरमलो, सरगें लीयो अवतार ॥ इस जाणि निश्रय करो दान देखें।
श्रावक भविय निरमलमनुष्य जन्म सफल कर लेख || श्री सकल कीरतिगामी श्री भुवन कीति भन्नतार । दान तगा फल बरण्या वा जिणदास कहें लार ॥
धन्यकुमारचरित्र ।
1
रचयिता ब्रह्मनेनिवृत्त । भाषा संस्कृत पत्र संख्या २७ साइन १०४ परयां और प्रत्येक पंक्ति में २६-३२ अक्षर ।
प्रति नं० २ पत्र संख्या ८. साइज १०||४|| प्रति अपूर्ण । आठ से अधिक पृष्ठ नहीं हैं ।।
प्रति नं० ३. पत्र संख्या ३३. साइज १०x४ | ३ | प्रतिलिपि संवत् १७२८ ].
प्रति नं० ४. पत्र संख्या १६. साइज ११||४५ इञ् । लिपिः संवत्
।
चोत्तर