Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के प्रन्थ *
(३५) स्वामी कुमारानुप्रेक्षा। (३६) नेमिनाथ रासो। (३७) अवधू अनुप्रेक्षा। (३८) आत्म संबोधनकाय प्राकृत ) (३६) अागावना सार (४०) योग सार (११) कर्म प्रकृति ( प्राकृत नेनिचन्द्राचार्य । (४२) आत्मा वर्णन। १४३) नेनीश्वर जीवन ( प्राकृत ) (४४) कपाच पाथडी। (४५ निश्चय व्यवहार रत्नत्रय । १४६) भाव संग्रह ( प्राकृत ) श्री देवसन कृत। १४६) षड़ पाहुड। (४७) पड क्रय वर्णन .
गुटका नं ५५
लिपिकार ६० स्वोजोराम जी । पत्र संख्या ३०. साइज ||४६ इञ्च । लिपि संवत् १८२६. लिपिस्थान देवपुरी। लिपि का पांडे देवकरणजी।
गुटका नं. ५६
लिपिकार अज्ञात । पत्र संख्या ७५. साइन ५४४ इञ्च । गुटके में कोई विशेष उल्लेखनीच सामग्री नहीं है।
गुटको नं. ५७
लिविकार अज्ञात । पत्र संख्या २०. साइज ५/४४|| गुटके के प्रारम्भ में कितने ही प्रसिद्ध मध्यकालीन राजाओं और नवाबरें का संवत् सहित संक्षिप्त वृत्तान्त देरखा है। इसके अतिरिक्त कोई -उल्लेखनीय सामग्रो नहीं है।
इक्यावन