Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमेर भंडार के अन्य *
जन्बूस्वामि चरित्र ।
रचयिता श्री पांडे जिनदास । भाषा हिन्दी । पत्र संख्या ३५. साइज =||४|| इञ्च । सम्पूर्ण पद्य संख्या ५०३. रचना संवत् १६४२. लिपि संवत् १७५१ । .
प्रति नं० २ पत्र संख्या ३४. साइज १२४५|| इञ्च । लिपि संवत् १७६३ लिपिस्थान जिहानाबाद जयसिंह पुरा । लिपिकार पं० दयाराम ।
प्रति नं० ३. पत्र संख्या २१. साइज १२x६ इञ्च । जिनगुण संपत्ति कथा।
लिपि कती श्री सेवा राम साह । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ४. साइज १०x४ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ६ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-३- अक्षर । लिपि संवत् १८४५. लिपि स्थान जयपुर ।
प्रति नं०२ पत्र संख्या २६. साइज ११४५ इञ्च । । प्रति नं० ३. पत्र संख्या ३. साइज १.६x४|| इश्च । केवल नंदीश्वर कथा ही है।
जिनदत्तचरित्र ।
रचयिता पंडित लावू ! भाषा अपभ्रंश । पत्र संख्या १५७. साइज १०x४|| इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३२.३६ अक्षर। रचना संवत् १२७५. लिपि संवत् १६११, लिपिस्थान आम्रगढ़ महादुर्ग । आचार्य धर्मचन्द्र के शासन काल में भट्टारक श्री प्रभाचन्द्र के शिष्य श्री ब्रह्मवेग ने ग्रन्थ की प्रति लिपि बनायो । ग्रन्थ समाप्ति के अन्त में स्वयं कवि ने अपना परिचय दिया है। कितने ही स्थानों पर लिपिकर्ता ने अपभ्रंश से संस्कृत भी दे रक्खी है।
प्रति नं०२. पत्र संख्या १५०. साइज १२४५ इञ्च ! प्रति अपूर्ण। १५० से आगे के पृष्ट नहीं है। प्रति कुच २ जीर्णावस्था में है।
जिनदत्तचरित्र 1
रचयिता श्री गुणभद्राचार्य । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५०. साइज 24xl! इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ एर ११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३६ अक्षर । लिपि संवत् १६१६. प्रशस्ति है।
प्रति नं० २. पत्र संख्या ४३. साइज १०x४ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। . .
गुनसठ