Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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- चौथा स्थिति पद - एकेन्द्रिय जीवों की स्थिति
.......... सुहम तेउकाइयाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाण य पुच्छा? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! तेजस्कायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन रात्रि-दिन की कही गई है। प्रश्न - हे भगवन् ! अपर्याप्तक तेजस्कायिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है। प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक तेजस्कायिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की तथा उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तीन रात्रि दिन की कही
गई है।
सूक्ष्म तेजस्कायिकों के औधिक (सामान्य) तथा अपर्याप्तकों और पर्याप्तकों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है।
बायरतेउकाइयाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि राइंदियाइं। अपज्जत्तय बायर तेउकाइयाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तयाणं पुच्छा?
गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि राइंदियाइं अंतोमुहुत्तूणाई ॥२२७॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! बादर तेजस्कायिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन रात्रि दिन की कही गई है। प्रश्न - हे भगवन् ! अपर्याप्तक बादर तेजस्कायिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है। प्रश्न - हे भगवन् ! पर्याप्तक बादर तेजस्कायिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तीन रात्रि-दिन की कही गई है। वाउकाइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिणि वाससहस्साइं। अपज्जत्तयाणं पुच्छा?
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