Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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चौथा स्थिति पद - एकेन्द्रिय जीवों की स्थिति mmmmmmmmmmmmmmmmmmm....
उत्तर - हे गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है। बायर पुढवीकाइयाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई। अपज्जत्तय बायर पुढवीकाइयाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पज्जत्तय बायर पुढवीकाइयाणं पुच्छा?
गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई ॥२२५॥
प्रश्न - हे भगवन् ! बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर - हे गौतम! बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट बाईस हजार वर्ष की कही गई है।
प्रश्न - हे भगवन्! अपर्याप्तक बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है।
प्रश्न - हे भगवन्! पर्याप्तक बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? .. उत्तर - हे गौतम! पर्याप्तक बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बाईस हजार वर्ष की कही गई है।
आउकाइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई। अपजत्तय आउ काइयाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। पजत्तय आउ काइयाणं पुच्छा? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई।
सुहम आउकाइयाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाण य जहा सुहुम पुढवीकाइयाणं तहा भाणियव्वं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! अप्कायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? उत्तर - हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट सात हजार वर्ष की कही गई है। प्रश्न- हे भगवन्! अपर्याप्तक अप्कायिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
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