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6-'क्या मुल्ला नसरुद्दीन आश्रम में कोई समूह चलाएंगे?
7-'संन्यास आपका आशीष है या मेरा सत्याग्रह?
8-'आपके स्त्रोत से पीकर भी प्यास कम नहीं हई है?
प्रश्न:
ओशो, आप मुझसे बहने को कहते हैं एक बेजान से बोझ मन के साथ मेरा शरीर इतना भारी है कि मुझे लगता है यदि मैने बहना चाहा जे कहीं मैं डूब न जाऊं अत घबड़ा कर मैने तैरना जारी रखा है?
बहना जीवन का समग्ररूपेण नया ढंग है। तुम्हें संघर्ष करने की आदत है, तुम धारा के विपरीत तैरने
के आदी हो। यदि तुम किसी के साथ संघर्ष करो तो अहं पोषित होता है। यदि तुम संघर्ष न करो तो बस अहंकार विलीन हो जाता है। अहंकार का अस्तित्व बनाए रखने के लिए संघर्ष को जारी रखना परम आवश्यक है। इस ढंग से या उस ढंग से, चाहे सांसारिक मामला हो या आध्यात्मिक मामला, लेकिन संघर्ष करते रहो। चाहे दूसरों से संघर्ष करो या स्वयं से संघर्ष, लेकिन संघर्ष जारी रखो। जिन लोगों को तुम सांसारिक कहते हो वे दूसरों से संघर्षरत हैं और जिन्हें तुम आध्यात्मिक कहते हो स्वयं के साथ संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन बुनियादी बात वही रहती है।
सच्ची दृष्टि का जन्म सिर्फ तभी होता है जब तुम संघर्ष बंद कर देते हो। तब तुम मिटने लगते हो, 'क्योंकि संघर्ष के अभाव में अहंकार एक पल भी नहीं टिक. सकता। इसके लिए लगातार पैडल चलाते रहना पड़ता है। यह एक साइकिल की भांति है। यदि तुम पैडल चलाना बंद कर दो तो यह गिरेगी ही, यह ज्यादा देर नहीं चल पाएगी। संभवत: पहले से निर्मित संवेग के कारण थोड़ी-बहुत चलती रहे, लेकिन अहं के लिए, इसे जिंदा रखने के लिए तुम्हारा सहयोग जरूरी है। और यह सहयोग संघर्ष, प्रतिरोध के द्वारा ही किया जाता है।