Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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विषयानुक्रमणिका अध्याय-1 : पद व्यवस्था का एक विमर्श
1-13 अध्याय-2 : वाचना दान एवं ग्रहण विधि का मौलिक स्वरूप
14-53 1. वाचना शब्द का अर्थ एवं परिभाषाएँ 2. वाचना ग्रहण के अयोग्य कौन? 3. वाचनाग्राही में अपेक्षित योग्यताएँ? 4. वाचना दान के योग्य कौन? 5. वाचना आदान-प्रदान के शास्त्रीय लाभ 6. योग्य शिष्य को वाचना देने के फायदे 7. अयोग्य को वाचना देने के दोष 8. वाचना निषेध की आपवादिक स्थितियाँ 9. वाचना देने-लेने के प्रयोजन 10. सूत्र पाठ सीखने के प्रयोजन 11. शिक्षा (वाचना) के प्रकार 12. वाचना श्रवण की आगमोक्त विधि 13. श्रुत ग्रहण के आवश्यक चरण 14. सूत्र सीखने के नियम 15. सूत्रार्थ व्याख्यान विधि 16. श्रुत अध्ययन के उद्देश्य 17. शिक्षा (वाचना) ग्रहण हेतु आवश्यक गुण 18. शिक्षा के बाधक तत्त्व 19. वाचना भंग के स्थान 20. श्रुतदाता एवं श्रुतग्राहीता के अनुपालनीय नियम 21. अविधिपूर्वक सूत्र दान में लगने वाले दोष 22. वाचना में महत्त्वपूर्ण सामग्री 23. वाचना विधि का ऐतिहासिक परिशीलन 24. वाचना दान एवं ग्रहण विधि 25. वाचनाचार्य पदस्थापना विधि 26. तुलनात्मक विवेचन 27. उपसंहार। अध्याय-3 : प्रवर्तक पदस्थापना विधि का मार्मिक स्वरूप
54-62 1. प्रवर्तक शब्द का अर्थ एवं परिभाषाएँ 2. प्रवर्तक मुनि की योग्यताएँ एवं मुहूर्त विचार 3. प्रवर्तक पदस्थापना विधि का ऐतिहासिक विकास क्रम 4. प्रवर्तक पदस्थापना विधि 5. तुलनात्मक विवेचन 6. उपसंहार। अध्याय-4 : स्थविर पदस्थापना विधि का पारम्परिक स्वरूप
63-73 __1. स्थविर शब्द का अर्थ एवं परिभाषाएँ 2. स्थविर के प्रकार 3. स्थविरों के प्रति करणीय कृत्य 4. स्थविर, स्थविरकल्प और स्थविरकल्पी का स्वरूप