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उपाध्याय पदस्थापना विधि का वैज्ञानिक स्वरूप...107 हित के उपाय का चिन्तन करते हैं वे उपाध्याय हैं।10
• विशेषावश्यकभाष्य में उपाध्याय की दूसरी परिभाषा दर्शाते हुए कहा गया है कि जो धर्म का उपदेश देकर शिष्यों को दीक्षित करते हैं, उन्हें वाचना देते हैं, विहार यात्रा की अनुज्ञा देते हैं, वे आचार्य कहे जाते हैं तथा श्रुत वाचनाचार्य को उपाध्याय कहा गया है।11
• व्यवहारभाष्य के निर्देशानुसार जो सूत्र, अर्थ और सूत्रार्थ के ज्ञाता हैं, ज्ञान- दर्शन-चारित्र में उद्यत हैं और शिष्यों के निष्पादक हैं, वे उपाध्याय हैं।12
• दशवैकालिकचूर्णि के मतानुसार जो आचार्य पद पर प्रतिष्ठित नहीं हैं और गणधर पद के योग्य हैं, वे उपाध्याय कहलाते हैं।13 ___ • विद्वानों की मान्यतानुसार उपधि का एक अर्थ सन्निधि है। जिनकी सन्निधि या सान्निध्य में श्रुतज्ञान का लाभ होता है, जिसे सुनकर श्रुत-ज्ञान प्राप्त किया जाता है अथवा जिनके सामीप्य से उपाधि यानी सुन्दर विशेषण या विशेषताएँ प्राप्त की जाती हैं वे उपाध्याय हैं।
दूसरी परिभाषा के अनुसार जिनका सान्निध्य आय = इष्ट फलों का कारणभूत हैं और जो स्वयं इष्ट फलदायी हैं, वे उपाध्याय कहे जाते हैं ।
तीसरी परिभाषा 'आधि' शब्द पर आधारित है। मानसिक पीड़ा को आधि कहते हैं। आधि की आय या लाभ आध्याय होता है अथवा आधि का अर्थ कुबुद्धि है। कुबुद्धि का लाभ आध्याय कहा जाता है। आध्याय का एक अर्थ दुर्ध्यान या दूषित ध्यान है जिन्होंने आध्याय को नष्टकर दिया है वे उपाध्याय हैं।14
• मूलाचार में आचार्य, उपाध्याय, प्रवर्तक, स्थविर और गणधर इन पाँचों को संघ का आधार माना गया है तथा इसके टीकार्थ में उपाध्याय की द्विविध परिभाषाएँ प्रस्तुत की गयी है-15 ____ 1. 'उपेत्यास्मादधीयते उपाध्यायः' अर्थात जिनके पास में जाकर अध्ययन किया जाता है, वे उपाध्याय हैं।
2. 'धर्मस्य दशप्रकारस्योपदेशकः कथकः धर्मोपदेशकः' अर्थात दश प्रकार के धर्म को कहने वाले उपाध्याय कहलाते हैं।
सार रूप में कहें तो जो विशिष्ट श्रुत के अध्यापक होते हैं और दूसरों को श्रुत का अध्ययन करवाते हैं वे उपाध्याय कहलाते हैं।