Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 272
________________ 214...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में 17. धवला, 111,1/29-31/49, 1/1,1,1/48/8 18. पंचाध्यायी (उत्तरार्ध), गा. 645-646 19. व्यवहारभाष्य, 1481-1487. 20. व्यवहारभाष्यवृत्ति, 3/3. 21. (क) आवश्यकचूर्णि, पृ.2-3. (ख) अभिधानराजेन्द्रकोश, भा. 2, पृ. 333, 347-352 22. आदिपुराण, 1/126-133. 23. महानिशीथसूत्र, 5/15, पृ. 118-20. 24. जह दीवा दीवसतं, पइप्पए सो य दिप्पए दीवो। दीवसमा आयरिया, दिप्पंति परं च दीवेति। अनुयोगद्वार, सू. 557 25. नवपद पूजा, ढाल तीसरी 26. चउदेसणकहकुसलो, चउभावणधम्मसारणाइरओ। चउविहचउज्झाणविऊ, छत्तीसगुणो गुरू जयउ॥ पणविहसम्मचरणवय, ववहारायारसमिइसज्झाए। इगसंवेगे अ रओ, छत्तीसगुणो गुरू जयउ।। इंदियविसयपमाया, सवनिद्दकुभावणा पणगछक्को। छज्जीवेसु सजयणो, छत्तीसगुणो गुरू जयउ। छब्वयणदोसलेसा, वस्सय सद्दव्वत्तक्कभासाणं। ____ परमत्थजाणणेणं, छत्तीसगुणो गुरू जयउ।। सगभयरहिओ सगपिंड, पाणएसणसुहेही संजुत्तो। अट्ठमयट्ठाणरहिओ, छत्तीसगुणो गुरू जयउ॥ अट्ठविहनाणदंसण, चारित्ताचारवाइगुणकलिओ। चउविहबुद्धिसमेओ, छत्तीसगुणो गुरू जयउ॥ अट्ठविहकम्म अटुंग, जोगमहासिद्धिजोग दिट्ठिविउ। चउविहअनुओगनिउणो, छत्तीसगुणो गुरू जयउ।। नवतत्तण्णू नवबंभगुत्ती, गुत्तो नियाणनवरहिओ। नवकप्पकयविहारो, छत्तीसगुणो गुरू जयउ।। दसभेय अ संवर, संकिलेसउवघाय विरहिओनिच्चं। हासाइछक्करहिओ, छत्तीसगुणो गुरू जयउ।।

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