Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 280
________________ 222...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में 103. (क) आवश्यकनियुक्ति हारिभद्रीयटीका, पृ. 130. (ख) समवायांगसूत्र अभयदेवटीका, पृ. 147 104. अणुयोयणमणुओगो, सुयस्स नियएण जमभिधेएणं वावारो वा जोगो, जोअणुरूवोऽणुकूलो वा । अहवा जमत्थओ थोव-पच्छभावेहिं सुयमणुं तस्स अभिधेये वावारो, जोगो तेण य संबंधो।। विशेषावश्यकभाष्य, 1386-1387 105. अणुओगो य नियोगो, भास विभासा य वत्तियं चेव । अणुओगस्स उ एए, नामा एगट्ठिया पंच॥ 106. बृहत्कल्पभाष्य, 198. 107. वित्तीय वक्खाणं, वत्तियमिह सव्वपज्जवेहिं वा । वित्तीओ वा जायं, जम्मि व जह वत्तए सुत्ते ।। आवश्यकनिर्युक्ति, 131 विशेषावश्यकभाष्य, 1422 की मलयगिरि, टीका 108. विशेषावश्यकभाष्य, गा. 1423 109. वही, 1424 110. वही, गा. 1425 111. विशेषावश्यकभाष्य, गा. 1426-1427 112. (क) अभिधानराजेन्द्रकोश, भा. 1 / पृ. 256 (ख) चत्तारि उ अणुओगा, चरणे धम्मगणियाणुओगे या दवियणुओगे य तहा, अहक्कमं ते महिड्डीया।। 113. अनगारधर्मामृत, 3 / 9-12. 114. अनुयोगद्वार, प्रस्तावना, पृ. 26. ओघनियुक्तिभाष्य, गा. 5 115. नन्दीसूत्र, सू. 107 116. नन्दीचूर्णि, सू. 107-108 117. वही, सू. 110 118. नामं ठवणा दविए, खेत्ते काले वयण - भावे या एसो अणुओगस्स उ, निक्खेवो होइ सत्तविहो || विशेषावश्यकभाष्य, 1388

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