Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 312
________________ 254...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में __ मन्त्रदान संबंधी - प्रवर्तिनीपद की सिद्धि के लिए नूतन पदग्राही को पद दान के दिन मन्त्र सुनाया जाता है। इस सम्बन्ध में आचार्यों के किञ्चित मतभेद हैं जैसे- प्राचीनसामाचारी32 एवं विधिमार्गप्रपा33 में वर्धमानविद्या मन्त्र सुनाने का निर्देश है जबकि आचारदिनकर34 में षोडशाक्षरी परमेष्ठी विद्या सुनाने का उल्लेख है, किन्तु परमेष्ठी विद्या का स्वरूप नहीं बताया गया है। इसमें गृहीत पद की सिद्धि एवं पूजन के लिए अठारह वलय युक्त परमेष्ठीमन्त्र का चक्रपट देने का भी वर्णन है। इस प्रकार मन्त्रदान सम्बन्धी भिन्नताएँ हैं। ___ आसनदान संबंधी – पूर्व पुरुषों की परम्परा का अनुसरण करते हुए एवं श्रेष्ठपद की महिमा को यथावत बनाये रखने के लिए पदग्राही को अभिमन्त्रित आसन दिया जाता है। प्राचीन सामाचारी एवं विधिमार्गप्रपा में आसनदान का स्पष्ट उल्लेख है, जबकि आचारदिनकर में प्रवर्तिनी हेतु इसका निषेध किया गया है। स्कन्यकरणी संबंधी- विधिमार्गप्रपा35 के अनुसार महत्तरापद की भांति प्रवर्तिनी को भी स्कन्धकरणी (कम्बली) दी जाती है जबकि प्राचीनसामाचारी एवं आचारदिनकर में स्कन्धकरणी के दान का उल्लेख नहीं है। विधिक्रम संबंधी - प्राचीनसामाचारी आदि तीनों ग्रन्थों में इस विधि के क्रम को लेकर भी मतभेद हैं। यद्यपि प्राचीनसामाचारी एवं विधिमार्गप्रपा में वर्णित विधि क्रम में काफी कुछ साम्यता है, किन्तु आचारदिनकर की तुलना में किञ्चित असमानताएँ निम्न प्रकार हैं • विधिमार्गप्रपा में मन्त्रदान के पूर्व लघुनन्दी पाठ सुनाने का निर्देश है जबकि आचारदिनकर में मन्त्रदान के पश्चात लघुनन्दी सुनाने का वर्णन है। • विधिमार्गप्रपा के अनुसार इस पदानुज्ञा के प्रारम्भ में द्वादशावर्त वन्दन करना चाहिए, किन्तु आचारदिनकर में यह विधि प्रवेदन के पूर्व दिखलाई गयी है। प्रदक्षिणा संबंधी- आचारदिनकर के मतानुसार लगभग व्रतारोपण एवं पदारोहण सम्बन्धी मूल-विधि प्रारम्भ होने से पूर्व पदग्राही द्वारा समवसरण की तीन प्रदक्षिणा दी जाती है, ऐसा उल्लेख विधिमार्गप्रपा में तो नहीं है, किन्तु वर्तमान की सभी परम्पराओं में यह विधि प्रचलित है। इसके सिवाय वासदान, देववन्दन, कायोत्सर्ग, अनुज्ञापन, नन्दीपाठ, आदि

Loading...

Page Navigation
1 ... 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332