Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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180...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में बारह वर्ष तक सूत्रों के अर्थ और सार को ग्रहण करने में समय दिया हो तथा बारह वर्ष तक स्वशक्ति की परीक्षा निमित्त विभिन्न देशों का पर्यटन किया हुआ हो, वह आचार्य पद का अधिकारी होता है।87 __आचारदिनकर के निर्देशानुसार जो मुनि छत्तीस गुणों से युक्त, रूपवान एवं अखण्डित अंगोपांग वाला हो, सर्वविद्या में निपुण हो, कृतयोगी हो, द्वादशांगी का पूर्ण परिज्ञाता हो, शूरवीर हो, दयालु हो, धीर-गम्भीर एवं मधुरभाषी हो, आर्यदेश में उत्पन्न हुआ एवं उच्च कुल में जन्मा हुआ हो, माता-पिता दोनों के कुल से विशुद्ध हो, देश-काल और परिस्थिति को समझने वाला हो, स्वसिद्धान्त, पर-सिद्धान्त का अभ्यासी हो, प्रतिभावान हो, विद्वान हो, तपकर्म में सदैव निरत हो, निर्देश देने में कुशल हो, पुरुष की बहत्तर कलाओं एवं षट भाषाओं का विज्ञाता हो। सभी देशों की भाषाओं को समझने तथा बोलने में समर्थ हो, चौदह प्रकार की लौकिक विद्याओं में पारंगत हो, सौम्य स्वभावी हो, क्षमावान हो, योग्य मन्त्रादि को जानने वाला एवं अवसर विशेष में उनका प्रयोग करने में समर्थ हो, सदाचारी हो, कृतज्ञ हो, स्पष्टवक्ता-लज्जावान और नीतिवान हो तथा अष्टांगयोग की साधना करने वाला हो- इन गुणों से युक्त मुनि आचार्य पद के योग्य होता है।88
निष्पत्ति – उक्त सन्दर्भो से प्रमाणित होता है कि स्थानांग, दशाश्रुतस्कन्ध, व्यवहारसूत्र आदि आगमों में, आगमिक व्याख्या साहित्य व्यवहारभाष्य, दशाचूर्णि टीका आदि में एवं परवर्ती पंचवस्तुक, विधिमार्गप्रपा आदि में आचार्य पद के योग्य गुणों का स्पष्ट उल्लेख है। यदि तुलना की दृष्टि से देखें तो उनमें
आंशिक समानता और किंचिद् असमानता है जैसे- व्यवहारसूत्र में आचार्य पद के योग्य शिष्य की न्यूनतम दीक्षा पर्याय बतलायी गयी है, जबकि विधिमार्गप्रपा में इसके अधिकतम दीक्षापर्याय का उल्लेख है।
समीक्षा की दृष्टि से कहा जाए तो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह विषय मुख्य रूप से विचारणीय है, क्योंकि आज इन मानदण्डों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आचार्य पद के अयोग्य कौन ?
जैन दर्शन का आचार मार्ग उत्कृष्ट कोटि का है। इस आचार-धर्म का प्रवर्तन आचार्य करते हैं अतएव आचार्य का गुण सम्पन्न होना अत्यन्त जरूरी