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110...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में
10.) 5 इन्द्रियों के 23 विषय एवं राग और द्वेष का परिहार करने वाले होने से (23+1+1 = 25) गुण धारक हैं।
11.) चतुर्विध संघ में मिथ्यात्व के 21 भेदों की 4 प्रकार से प्ररूपणा करने वाले होने से (21+4 = 25) गुण युक्त हैं। ___12.) जीव के 14 भेदों को 8 विकल्पों के साथ जानने वाले एवं पालन करने वाले तथा अंग, अग्र एवं भाव पूजा के ज्ञाता होने से (14+8+3 = 25) गुण धारक हैं। ____ 13.) 8 अनन्त एवं 8 पुद्गल परावर्त के स्वरूप को जानने वाले और 9 निदान का त्याग करने वाले होने से (8+8+9 = 25) गुण युक्त है।
14.) 9 तत्त्व, 9 क्षेत्र एवं 7 नय के परिज्ञाता होने से (9+9+7 = 25) गुणधारी है।
15.) 4 निक्षेप, 4 अनुयोग, 4 धर्मकथा, 4 विकथा का त्याग, 4 दान आदि धर्म एवं 5 करण के विशिष्ट ज्ञाता होने से (4+4+4+4+5 = 25) गुण धारक हैं।
16.) 5 ज्ञान, 5 व्यवहार, 5 सम्यक्त्व, 5 प्रवचन के अंग एवं 5 प्रमाद के अनुज्ञाता होने से (5+5+5+5+5 = 25) गुण युक्त हैं।
17.) 12 व्रत, 10 रूचि एवं 3 प्रकार के विधिवाद को जानने वाले होने से (12+10+3 = 25) गुणधारी है।
18.) 3 प्रकार की हिंसा, 3 प्रकार की अहिंसा और कायोत्सर्ग सम्बन्धी 19 दोष के सम्यक् ज्ञाता होने से (3+3+19 = 25) गुण युक्त हैं। ___19.) 8 आत्मा, 8 प्रवचनमाता, 8 मद का त्याग एवं 1 प्रकार की श्रद्धा आदि के स्वरूप को जानने वाले होने से ( 8+8+8+1 = 25) गुणधारी हैं। ___20.) श्रावक के 21 गुण एवं 4 प्रकार की वृत्ति के ज्ञाता होने से (21+4 = 25) गुण युक्त हैं।
21.) 3 अतत्त्व, 3 तत्त्व, 3 गारव, 3 शल्य, 7 लेश्या, 3 दण्ड एवं 4 करण के ज्ञाता होने से (3+3+3+3+6+3+4 = 25) गुण युक्त हैं।
22.) तीर्थङ्कर नामकर्म का उपार्जन करने वाले 20 स्थान एवं पंचाचार को जानने वाले होने से (20+5 = 25) गुण युक्त हैं।