Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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26...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में
सूत्र
के अक्षर अधिक न हो अर्थात सूत्र याद करते समय
2. अनत्यक्षर
अनुपयोगवश अतिरिक्त अक्षर न बढ़ाये ।
3. अव्याविद्धाक्षर पद, अक्षर आदि को व्यवस्थित क्रम में रखना अर्थात सीखे जा रहे सूत्र का वर्ण विन्यास ग्रामीण अहीरन के द्वारा पिरोयी गयी माला के रत्नों के समान विपर्यस्त (विपरीत) न हो ।
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4. अस्खलित
हल के समान न हो, अर्थात उच्चारण लयबद्ध हो ।
सूत्र - पाठ विषम भूमि पर स्खलित गति से चलने वाले
5. अमीलित पद- वाक्य सूत्र-पाठ का उच्चारण करते समय पद, वाक्य आदि विजातीय धान्य के समान आपस में मिले हुए न हों। अर्थात विरूद्ध या विजातीय पदों को आपस में न मिलाए ।
6. अव्यात्याम्रेडित
सूत्र- पाठ सीखते समय उसमें विविध शास्त्रों के
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वाक्यों का मिश्रण न हो ।
7. परिपूर्ण सूत्र- पाठ ग्रहण करते समय वह निश्चित मात्रा आदि से युक्त हो तथा जिसमें आकांक्षा अर्थात क्रिया आदि किसी पद के अध्याहार की अपेक्षा न हो।
8. पूर्णघोष - सूत्रों के परावर्त्तन काल में उदात्त - अनुदात्त आदि स्वरव्यञ्जनों का उच्चारण सम्यक् रूप से हो।
9. कण्ठौष्ठ- विप्रमुक्त सूत्र का परावर्त्तन करते समय उनका कण्ठ्य ओष्ट्य आदि से स्पष्ट उच्चारण हो । सूत्र उच्चारण बाल, मूक आदि के कथन के समान अव्यक्त न हो।
10. गुरुवाचनोपघात - सूत्र - पाठ गुरु के द्वारा साक्षात पढ़ाया हुआ हो, पुस्तक से पढ़ा हुआ न हो अथवा गुरु दूसरे को पढ़ा रहे हो, उसे सुनकर सीखा हुआ हो।
इन नियमों का यथावत अनुसरण करने से श्रुतज्ञान की विशिष्ट प्राप्ति
होती है।
सूत्रार्थ व्याख्यान विधि
नन्दीसूत्र के निर्देशानुसार सूत्रार्थ की वाचना देते समय वाचनाचार्य शिष्य को सर्वप्रथम सूत्र का शुद्ध उच्चारण और फिर अर्थ सिखाए। तत्पश्चात उस आगम के शब्दों की सूत्रस्पर्शी निर्युक्ति बताए । तदनन्तर उसी सूत्र को वृत्ति