Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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34...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में किया जाता है। मूलत: गुरु द्वारा स्वयं के कर्तव्यों का निर्वाह, ज्ञान शक्ति का सदुपयोग एवं आश्रित शिष्यों पर अनुग्रह करने के ध्येय से वाचना दी जाती है।
यदि प्रस्तुत विषय का ऐतिहासिक अनुशीलन किया जाए तो यह स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि लगभग किसी भी मूल आगम में वाचना विधि या वाचनाचार्य पदस्थापना विधि का वर्णन नहीं है, यद्यपि आचारांग आदि आगम सूत्रों में वाचना शब्द का उल्लेख हुआ है। __ आचारांगसूत्र में वाचना शब्द का प्रयोग औद्देशिक आदि आहार न लेने के सन्दर्भ में किया गया है।57 इसका पाठांश है कि साधु हो या साध्वी, उन्हें ऐसे स्थानों पर भिक्षार्थ नहीं जाना चाहिए जहाँ ब्राह्मण, अतिथि, कृपण, वनीपक आदि आते हों क्योंकि वहाँ का आहार औद्देशिक होता है और औद्देशिक आहार अकल्पनीय एवं सदोष होने से अग्राह्य है। सदोष आहार के सेवन से निर्मल भावनाएँ घट जाती है तथा वाचना, अनुप्रेक्षा आदि स्वाध्याय सम्यक् रूप से नहीं हो सकता। इस रूप में वाचना शब्द उल्लेखित है।
स्थानांगसूत्र में पाँच प्रकार का स्वाध्याय बताया गया है, उसमें वाचना का प्रथम स्थान है।58 इस तृतीय अंग आगम में चार प्रकार के आचार्य का भी निर्देश है उनमें से एक का नाम वाचनाचार्य है।59
चतुर्थ अंग आगम समवायांगसूत्र में 'द्वादशांगी की परिमित वाचनाएँ होती है' इस रूप में वाचना शब्द का प्रयोग हुआ है।60 ____ भगवतीसूत्र में भी स्वाध्याय के पाँच प्रकार कहे गये हैं और उनमें प्रथम क्रम पर वाचना का उल्लेख है। इसी के साथ धर्मध्यान के चार आलम्बन बताते हुए वाचना को धर्मध्यान का प्रथम आलम्बन बतलाया गया है।61 इस तरह अन्य विवरण भी यहाँ प्राप्त होता है।
ज्ञाताधर्मकथासूत्र में मुनि मेघकुमार के प्रसंग में वाचना शब्द का प्रयोग है।62 इसमें वर्णन है कि मेघकुमार जिस दिन दीक्षित होते हैं उस दिन सबसे कनिष्ठ होने के कारण उनका संस्तारक अन्तिम क्रम पर लगाया गया। वहाँ अनेक मुनि प्रवासित थे, रात भर स्वाध्याय एवं लघु शंका निवारण हेतु मुनियों के आने-जाने का क्रम जारी रहा। उनकी पद आहट एवं पांवादि का स्वयं के शरीर से पुन:-पुन: स्पर्श होने के कारण मेघ मुनि को रात भर नींद नहीं आई। वे विचार करने लगे अहो! दीक्षा लेने के पहले दिन से ही मेरा कोई आदर नहीं