Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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पदव्यवस्था एक विमर्श...7
शब्द सर्वप्रथम आचारांगसूत्र में प्राप्त होता है।13
संयतिनी - श्रमणी का एक पर्याय नाम 'संयतिनी' भी है। इसका शाब्दिक अर्थ है - संयत रहने वाली, इन्द्रियों का दमन करने वाली। अभिधानराजेन्द्रकोश के अनुसार चारित्र आदि अनुष्ठान में निष्ठ रहने वाला 'संयत' कहलाता है।14 धवला के अनुसार जो बाह्य और आभ्यन्तर आस्रवों से विरत है, वह संयत है। संयत का स्त्रीवाची संयतिनी है।15
व्रतिनी - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह - इन पाँच महाव्रतों को धारण करने वाली वतिनी कहलाती है। बृहत्कल्पसूत्र में श्रमणी के अर्थ में व्रतिनी का बहुल प्रयोग हुआ है।16
साध्वी - वर्तमान में श्रमणी के स्थान पर 'साध्वी' शब्द का प्रयोग अधिक किया जाता है। प्राकृत में साध्वी के लिए 'साहुणी' 'साई' एवं 'साधुणी' ये तीन शब्द हैं। निशीथभाष्य में इसका उल्लेख मिलता है।17 रत्नत्रय को धारण करने वाली अथवा तपस्विनी के अर्थ में भी साध्वी शब्द प्रयुक्त है।18 अभिधानराजेन्द्रकोश में साधु शब्द की अनेक व्युत्पत्तियाँ उल्लिखित है। उन सभी का तात्पर्य है, जो ज्ञान, दर्शन एवं चारित्र के द्वारा मोक्ष को साधते हैं अथवा अनन्त ज्ञानादि रूप शुद्धात्म स्वरूप को प्राप्त करने की साधना करते हैं वे साधु हैं।19 साधु का स्त्रीलिंग पर्याय साध्वी होता है।
आर्यिका - भारतीय परम्परा में 'आर्य' शब्द आदरणीय एवं कलीन व्यक्ति के लिए प्रयुक्त है। संस्कृत-हिन्दी कोश के अनुसार, जो अपने देश के नियम और धर्म के प्रति निष्ठावान है वह आर्य है। आर्य का स्त्रीलिंग आर्या है।20 अर्धमागधी कोश में 'अज्जा' अर्थात आर्या शब्द साध्वी के अर्थ में प्रयुक्त है। आगम-साहित्य में भी अज्जा शब्द साध्वी के लिए ही प्रयुक्त हुआ है। उसके अज्जिया, अज्जया आदि नामान्तर भी देखे जाते हैं।21 ___ वर्तमान में श्वेताम्बर मूर्तिपूजक की श्रमणियों को 'साध्वी', अमूर्तिपूजक की श्रमणियों को ‘महासती', 'आर्या' एवं 'स्वामी' तथा दिगम्बर परम्परा की श्रमणियों को 'आर्यिका' कहा जाता है। आर्यिका को ‘माताजी' भी कहते हैं।
क्षुल्लिका (खुड्डी) - व्यवहारभाष्य के अनुसार तीन वर्ष तक की दीक्षित साध्वी 'क्षुल्लिका' कहलाती है। दिगम्बर-परम्परा में उत्कृष्ट श्राविका को 'क्षुल्लिका' कहा गया है तथा लंगोट धारण करने वाले मुनि को 'क्षुल्लक' कहते