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राजनैतिक और सैनिक महत्व
भण्डारी पौमसिंह भी अच्छे नामांकित पुरुष हुए। सं० १७७. में जब नवाब सैयद हसनअली मारवाद पर चढ़ आया तब आपने जोधपुर के किले की बहुत ही अच्छी तरह किले बन्दी की थी। संवत् १७७६ में भण्डारी अनोपसिंहजो के साथ भण्डारी पौमसिंहजी भी अहमदाबाद गये थे और वहाँ पर आपने अपने रण-चातुर्य का अच्छा परिचय दिया ।
भण्डारी सूरतरामजी भी महाराजा अभयसिंहजीके समय में बड़े नामांकित पुरुष हो गये हैं। सं० १८०० में जयपुर नरेश जयसिंहजी की मृत्यु के बाद जोधपुर के महाराजा अभयसिंहजी ने भण्डारी सूरतरामजी आलनियावास के ठाकुर सूरजमलजी और रूपनगर के शिवसिंहजी को अजमेर पर अधिकार करने के लिए भेजा । इन्होंने युद्ध कर अजमेर पर मारवाड़ का झण्डा फहरा दिया।
इसी प्रकार महाराजा अजितसिंहजी और महाराजा अभयसिंहजी के राज्य काल में और भी कई ओसवाल महानुभाव बड़े २ जिम्मेदारी के पदों पर अधिष्ठित हुए और उन्होंने राज्य की बड़ी २ सेवाएँ की।
महाराजा अजितसिंहजी और महाराजा अभयसिंहनी के राज्य काल में होने वाले बड़े २ ओस. वाल मुत्सुदियों का वर्णन हम गत पृष्ठों में कर चुके हैं। महाराजा अभयसिंहजी के बाद महाराजा रामसिंहजी एवं महाराजा बखतसिंहजी जोधपुर के तख्त पर बिराजे । इनके समय में भी ओसवाल मुत्सुदियों ने बडे २ पदों पर काम किया पर इस लेख में हम केवल उन्हीं थोड़े से महानुभावों का परिचय दे रहे हैं जो राजस्थान के इतिहास के पृष्ठो में अपना नाम चिरस्मरगीय कर गये हैं। इस दृष्टि से उन दोनों नरपतियों के राज्यकाल के ओसवाल मुत्सहियों के कार्य काल पर प्रकाश न डाल कर हम महाराजा विजयसिंह जी के राज्य-काल में कदम रखते हैं। महाराजा विजयसिंहजी और ओसवाल मुत्सद्दी
शमशेर बहादुर शाहमलजी-महाराजा विजयसिंहजी के समय में कई बड़े-बड़े भोसवाल मुत्सुद्दी हुए। उनमें सब से पहले हम रावराजा शमशेर बहादुर शाहमलजी लोदा का उल्लेख करते हैं। सम्वत् १८४० में आप जोधपुर पधारे । यहाँ आपको फौज की मुसाहिबी (Commander-in-Chief) का प्रतिष्ठित पद मिला। आपने कई युद्धों में सम्मिलित होकर बड़े-बड़े बहादुरी के काम किये । सम्वत् १८४९ में आप गोड़वाड़ प्रांत में होने वाले एक युद्ध में सम्मिलित हुए। इसी साल जेठ सुदी १२ के दिन महाराजा विजयसिंहजी ने आपके कार्यों से प्रसन्न होकर आपको “रावराजा, शमशेर बहादुर" की