________________ सेठियाजैनप्रन्थमाला करके स्त्री प्रसंग करके या कहीं से भाकर भी पसीने में तत्काल स्मान हानिकारक है। 36 गर्मी से तपे हुए शरीर से एकाएक शीतल जल में घुस जाने, या गर्मी से तपे हुए सिर पर ठण्डा पानी डालने, दूर की चीजें बहुत ध्यान लगाकर देखने, दिन में सोने और रात को जागने, या नींद पाने पर भी न सोने, अत्यन्त रोने या बहुत दिन तक रोने, रंज-- शोक करने, क्रोध करने, क्लेश सहने, चोट वगैरह लग जाने, अत्यन्त मैथुन करने, सिम्का, अग्नाल नाम काजी. खटाई, कुलथी उड़द वगैरह के अधिक खाने, मल मूत्र और अधोवायु के वेगों को रोकने, अधिक पसीना लेने, आँखों में अधिक धूल गिरने, अधिक धूप में फिरने, पाती हुई कै को रोकने, अत्यन्त वमन (कै) करने, किसी चीज की भाफ लेने या जहरीली चीजों की भाफ लेने, प्रासुओं को रोकने, बहुत ही बारीक चीजों के देखने, बहुत तेज सवारी पर चढ़ने, अधिक नशा करने, चमकीली चीजों को देखने, धुएँ में गहने, लेटे लेटे लिखने या पढ़ने, सिर में तेल न डालने, मिट्टी के तेल के चिराग से पढ़ने लिखने, वगैरह वगैरह कारणों से नेत्रों की बीमारियाँ हो जाती हैं. तथा नेत्रों की ज्योति मन्द हो जाती है / 40 हरी चीजों के देखने से नेत्रों की ज्योति बरती है. इसलिये बागों की सैर करना या दूसरी दूसरी हरी चीजें देखना भाखों के लिये लाभदायक है। ..