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पक्षाघात-लकवा (पेरेलिसिस) - Stroke
पक्षाघात (Stroke) (ब्रेईन अटेक) अपने देश में प्रचलित रोग है। मृत्यु के कारणों में हृदयरोग, केन्सर और सड़क दुर्घटना के बाद पक्षाघात (Stroke) एक महत्वपूर्ण कारण है । स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं - (१) रक्त कम मिलना - (Brain Ischemia) (२) ब्रेईन हेमरेज होना (Brain Hemorrhage)
इस रोग के विषय में जनजागृति और उसकी जानकारी आम जनता में अत्यंत कम है वह एक दु:खद बात है।
विशेषतः इस रोग के बारे में खतरनाक कारणों की सही जानकारी से हृदयरोग की तरह इससे भी बचा जा सकता है । सावधानी के चिह्न जान लें तो बड़े हमले से बचा जा सकता है । इस बीमारी होने के बाद तुरंत इलाज और उपचार मिलें तो इससे विकलांगता से भी बचा जा सकता है और ऐसा होने पर वैयक्तिक, कौटुंबिक, आर्थिक, सामाजिक और राष्ट्रीय हित बृहद प्रमाण में बने रहे तो एक बड़ी सेवा मानी जाएगी। यहां पक्षाघात (ब्रेईन एटेक या स्ट्रोक) की अति विस्तृत जानकारी देने का यही प्रयोजन है।
अपनी चरबी और मीठाशयुक्त खुराकपद्धति, आलसी जीवन, कसरत की कमी, पेट पर जमी चरबी, वंशानुगत (रेसियल) कारण, रक्त में अधिक मात्रा में चरबी... इन सभी को लेकर पूरे विश्व में भारतीय
और उसमें खास करके गुजरातीयों में हृदयरोग और पक्षाघात का प्रमाण अधिक है।
ऊपर बताये मुताबिक स्ट्रोक में प्रमुख चिह्न पक्षाघात (पेरेलिसिस) हो सकता है। जिसमें एक बाजु का अंग । कभी दोनों बाजु के अंग नाकाम बन जाते हैं । इसमें विशेषतः बोलने की, समझने की या देखने की शक्ति पर असर होती है। स्ट्रोक के प्रथम प्रकार ब्रेईन इश्चेमिआ/थ्रोम्बोसिस में मस्तिष्क की कुछ धमनीओं में रक्त के
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