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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ यह बात अत्यंत विस्तार से लिखने के पीछे एक निश्चित कारण यह है कि अधिकांश इससे विरुद्ध ही होते देखा जाता है । इमरजन्सी मेडिसिन, क्रिटिकल केर, यह मेडिसिन के एकदम अलग ऐसे सुपरसोनिक या कोन्कर्ड विभाग है, जिसमें सिर्फ मानवता के संदर्भ में एक-एक सेकन्ड बचाकर, निष्णात डॉक्टरो द्वारा अति महत्वपूर्ण निर्णय लिये जाते है । जिन्दगी बचाने की उनकी ट्रेनिंग अत्यंत हितकारक होती है। यह काम इसी प्रकार ही होना चाहिए जिसमें कोई भी प्रकार की दलील या हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है ।
मरीज के घर पर जाँच करते हुए बी.पी. अधिक मालूम पडे तो हेमरेज के केस में बी. पी. तात्कालिक नीचे लाने के लिए फेमिली डोक्टर आवश्यक ट्रीटमेन्ट करता है । थ्रोम्बोसिस वाले केसों में शुरुआत में ब्लडप्रेशर एकदम घटाना नहीं चाहिए । ऐसा करने से निश्चित ही नुकसान होता है। फिर भी थ्रोम्बोसिस के केस में ब्लड प्रेशर अधिक बढ़ जाए या साथ में हृदयरोग या रक्त पतला करने की दवाई चालू हो तो ब्लडप्रेशर को नोर्मल करना जरूरी है।
मस्तिष्क का सूजन अधिक लगता हो तो घर पर ही तात्कालिक सूजन घटाने का इंजेक्शन (मेनिटोल, लेसिक्स) फेमिली डॉक्टर दे सकते है, उस दौरान मरीज को अस्पताल में ले जा सकते हैं । मिर्गी आती हो तो उसकी ट्रीटमेन्ट में भी देर नहीं करनी चाहिए ।
सी. टी. स्केन उपरांत कभी कभी निदान के लिए लम्बर पंक्चर भी किया जाता है। परंतु अगर मस्तिष्क में सूजन अधिक हो तो इस जाँच से अधिकतर मरीजों को ज्यादा तकलीफ हो सकती है। (सीरियस मरीज के केस में यह नहीं करना चाहिए ।)
अस्पताल में ऐसे मरीज को स्वाभाविकतः आई.सी.यु. (I.C.U.) में ही रखना हितकारक है, जहाँ योग्य उपचार के साथ लगातार मोनिटरिंग किया जाता है । आवश्यक हो तो एन्जिओग्राफी आदि जाँच योग्य समय में करनी चाहिए और अगर जरूरत पड़े तो आगे बताए अनुसार सर्जरी
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