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19 - न्यूरोपथी (Neuropathy)
उपचार :
ए.आई.डी.पी. के उपचार के लिये सभी मरीजों को शुरूआत में एकदो सप्ताह के लिये अस्पताल में भर्ती करना अच्छा रहता है। इस रोग के उपचार के लिये स्टिरोईड समूह की दवाई, उदाहरण-मिथाईल प्रेड्निसोलोन, ए.सी.टी.एच. नामक दवाई के उपयोग से होने वाले लाभ संदर्भ में एकमत नहीं होने के कारण नई दवाई दी जाती है।
___ प्लाझमाफेरेसिस नामक पद्धति में मरीज़ के शरीर में से एक समय में १५०० से ३००० मि.लि. जितना रक्त निकालकर उसे शुद्ध किया जाता है। सेल सेपरेटर द्वारा कोषों को अलग कर, उसे शुद्धिकरण करके रक्त में से हानिकारक एन्टिबोडिझ (प्रतिद्रव्यों) दूर करके शुद्ध रक्त फिर से मरीज़ के शरीर में चढ़ाया जाता है। इस पद्धति से रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है। श्वासोच्छ्वास की तकलीफ दूर की जा सकती है और शीघ्र ही उसे सुधारा जा सकता है। यह प्रक्रिया एक-एक दिन के अंतर में कुल पांच बार किया जाता है।
इस रोग की दूसरी असरकारक दवाई है गामा ग्लोब्यूलीन । रक्तवाहिनी में इंजेक्शन के रूप में दी जाती इस दवाई से हानिकारक एन्टिबोडिझ दूर होते है। प्रतिदिन लगभग २० से ३० ग्राम की मात्रा में (४०० मि.ग्रा./कि.ग्रा. शरीर के वजन अनुसार) यह दवाई पाँच दिन दी जाती है । इस दवाई का दुष्प्रभाव भी बहुत कम है। यह दवाई बच्चों तथा हृदय के मरीजों को भी दी जाती हैं। परंतु यह उपचार अतिशय महँगा होने से सभी मरीज़ इस दवाई का लाभ नहीं ले सकते हैं।
ऐसे उपचार के सिवाय ए.आई.डी.पी. के मरीजों में अन्य देखभाल रखनी पड़ती है। इन मरीजों को पूरा पोषण मिलता रहे, शरीर में पीठ पर छाले न हो, किसी भी प्रकार का संक्रमण न हो उसका खूब ध्यान रखना पड़ता है । श्वासोच्छ्वास में परेशानी लगे तो आवश्यकता होने पर वेन्टिलेटर मशीन का प्रयोग किया जा सकता है। यह प्रक्रिया महँगी है लेकिन इससे जिंदगी बचाई जा सकती है । इसके उपरांत व्यायाम (फिजियोथेरपी) से भी इस रोग में बहुत लाभ होता हैं, जो उपचार का एक अति महत्वपूर्ण अंग है। प्रारंभिक १५ दिनों के भीतर रोग आगे न बढ़े और मुख्यतः श्वास की परेशानी न हो
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