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20 - मायस्थेनिया ग्रेविस (Myasthenia Gravis)
निदान : १. टीलस्टीग्मीन टेस्ट : टीलस्टीग्मीन के इंजेक्शन से रोग के चिह्न
में तुरंत लाभ देखा जाए तो उसके आधार पर निदान हो सकता है। ई.एम.जी. : ज्ञानतंतुओ को विद्युतशक्ति से बारबार उत्तेजित करने
से उसकी तरंगो के प्रसारण में रही कमी जानी जा सकती है। ३. खून परिक्षण में एसिटाईलकोलिन रिसेप्टर एन्टिबोडी लेवल टेस्ट
मुख्य है। हालाँकि रोग की गंभीरता बताने में और रोग की अवस्था की पुनः निरीक्षण में (follow-up) ये लेवल कितने विश्वसनीय है, यह बात निश्चित नहीं है। कभी कभी एन्टीमस्क
एन्टीबोड़ी टेस्ट भी किया जाता है । ४. सी. टी. स्केन थोरेक्स : 'थायमोमा' नामक गांठ ढूँढने के
लिये यह छाती का टेस्ट है । ५. थायरोईड का टेस्ट तथा अन्य आवश्यक ब्लड टेस्ट । • उपचार :
इस रोग के उपचार में एन्टिकोलीनेस्टरेस दवाई उपयोग की जाती है, जैसे कि नीओस्टिग्मीन या पायरिडोस्टिग्मीन, जो ज्ञानतंतुओं में से स्नायुओ की ओर जाने वाली तरंगो का प्रसारण मजबूत करती है। परिणामतः एसिटाईलकोलिन नामक तत्त्व ज्यादा समय तक उपलब्ध रहता है, जिससे स्नायुओ की संकुचनशक्ति बढ़ती है। यह दवाई की असर मरीजो के लिए ज्यादा लाभकारक होती है, लेकिन उससे मरीज़ अपनी सब क्रियाएँ पूर्ववत् क्षमता से नहीं कर सकता ।
थायमस ग्रन्थि को ऑपरेशन द्वारा निकाल लेने से बहुत फायदा होता है। रोग की प्रारम्भिक अवस्था में यह ऑपरेशन किया जाय तो ५० % से अधिक मरीजो को लाभ होता है । दर्दी की उम्र ४५ से कम हो तब यह ऑपरेशन करने की सलाह खास दी जाती है। उससे विपरीत ५० % मरीज़ो में स्टीरोईड समूह की दवाई से लाभ होता है। कुछ लोगो को एझाथायोप्रिन नामक दवाई से आराम मिलता है, परन्तु लंबे समय तक लेने से उसका दुष्प्रभाव भी देखा जाता है । नई दवाईयों में माईकोफिनोलेट नामक दवाई मुख्य है।
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