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24- दीर्घ समय तक उपयोग की जाने वाली न्यूरोलोजी की दवाई संबंधित माहिती
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रक्त टेस्ट द्वारा या एम्निओसेन्टेसिस द्वारा मिलती है । उसमें समस्या हो तो गर्भावस्था ( प्रेगनन्सी) रोकनी पड़ती है। जहाँ तक मुमकिन हो तो गर्भावस्था में यह दवाई नही देनी चाहिए ।
( ४ ) फिनोबार्बीटोन ( Phenobarbitone ) :
यह दवाई बहुत ही पुरानी और असरकारक और सस्ती है, लेकिन छोटे बच्चों को अधिक समय तक देने से वे जिद्दी और शरारती बन सकते है । कभीकभी इस दवाई से याददास्त भी बिगड़ती है ऐसा माना जाता है, ज्यादा निद्रा आने लगे वह भी इसका एक दुष्प्रभाव है । इसलिए यह दवाई आजकल कम उपयोग की जाती है । अब उसमें बदलाव लाकर युरोप में इटरोबार्बीटोन दवाई प्रयोग की जाती है, जिससे दुष्प्रभाव कम हो जाता है । (ब) पार्किन्सोनिझम रोग की दवाई का दुष्प्रभाव :
यह जिद्दी बीमारी की दवाई भी अधिकतर लोगों को आजीवन लेनी पड़ती है । इसलिए इसके दुष्प्रभाव जानना आवश्यक हो जाता है ( १ ) टी. एच. पी. एच. ( पेसिटेन ) - T. H. P.H. (Pacitane) :
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यह दवाई ६५ वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को देने से ख़तरा बढ़ता है । पेशाब में रुकावट, दुविधा (confusion) होना और याददास्त बिगड़ना वह एक बहुत सामान्य दुष्प्रभाव है । इस लिए यह दवाई अधिकांश ४० से ६० वर्ष के प्रौढ़ व्यक्ति और जिसे प्रोस्टेट की बीमारी न हो, वैसे मरीज़ो को ही देनी चाहिए ।
(२) लिवोडोपा ( Levodopa ) :
सिनेमेट, टाइडोमेट और सिनडोपा इत्यादि नाम से प्रचलित यह दवाई पार्किन्सोनिझम बीमारी की मास्टर दवाई है। लेकिन हृदय रोग के मरीज़ो के लिए उपयोग करने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। मरीज अचानक खड़ा होता है तब उसका बी. पी. कम हो जाता और मरीज गिर जाता है, ऐसा कई बार हो सकता है, जिसे पोस्चरल हाइपोटेन्शन कहते है । क्वचित जातीयवृत्ति बढ़ जाती है। लंबे समय के प्रयोग से हाथ-पैर विचित्र हलचल करते है, जिसे डिस्काईनेसिआ, डिस्टोनीआ या कोरिआ कहते है । ऐसा हो तो यह मास्टर दवाई अलग रुप में देनी पड़ती है, बदलनी पड़ती है या अनिवार्य संजोग में शस्त्रक्रिया करनी पडती है ।
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