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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ • सगे-संबंधी को मरीज़ के पास बैठकर मरीज़ को जो हाथ या पैर पर सुई (निडल) लगाई हो, वह नलीवाला हाथ-पैर अधिक न हिलाए उसका ध्यान रखना चाहिए ।
• बोतल में से प्रवाही/दवाई प्रत्येक मिनट में कुछ बूंद टपके ऐसी व्यवस्था की जाती है। इसमें अगर क्षति दिखे तो तुरंत ही नर्स को बुलाएँ। प्रवाही बंद या लीक हो जाए, प्रवाही टपकने की गति बढ़ या घट जाए अथवा जहाँ से प्रवाही शरीर में डाला जा रहा है, वहाँ सूजन हो या चमड़ी लाल हो जाए या मरीज़ को ठंड लगे या बुखार आए तो भी नर्स को बुलाना चाहिए। (३) नाक द्वारा प्रवाही आहार देने की ट्यूब (Ryle's Tube ) : (१) मरीज़ को ट्यूब द्वारा नाक से फीडिंग (प्रवाही आहार) देने का
कार्य नर्स करती हैं। कभी मरीज़ के सगे-संबंधियों को यह काम
संभालना पड़े तो यह प्रक्रिया स्पष्टतः समझ लेनी चाहिए । (२) डॉक्टर की सूचना के बाद फीडिंग (प्रवाही आहार) शुरु किया
जाता है। (३) इस फीडिंग हेतु चाय, दूध, कोफी, नीम्बूपानी, नारियल पानी,
इलेकट्राल पाऊडर का पानी, मिकसर में पिसा हुआ चावल, खिचड़ी, प्रोटीन पाऊडर या शक्ति-केलरी हेतु तैयार पेकेट जैसे कि एनश्योर, नरीश, पिघाली हुई दाल का पानी, बेजिटेबल सूप या फूट ज्यूस-फूट शेईक इत्यादि प्रवाही जितनी मात्रा में देना हो उतना ही दो या तीन घंटे के बाद देते रहना चाहिए । इसकी
नोंध रखकर डॉक्टर को बतानी चाहिए । (४) मरीज़ को मुँह से या ट्यूब से प्रवाही दिया जा रहा हो, उस वक्त
अंतरास आए या श्वास चढ़ जाए तो तुरंत ही प्रवाही देना बंद कर के डॉक्टर को तुरंत जानकारी देनी चाहिए ।
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