Book Title: Mastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Author(s): Sudhir V Shah
Publisher: Chetna Sudhir Shah

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Page 297
________________ 278 ७. * मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ दिन में दो बार सिस्टर के हाथों मरीज़ का मुँह साफ करवाना चाहिये। उपरांत मरीज़ के रिश्तेदारों के द्वारा भी दो बार साफ कराया जा सकता है । ८. मरीज़ होश में हो तब शक्यतः उसे बैठाकर ही आहार देना चाहिये । ( ११ ) महत्वपूर्ण मुद्दे ( vital points ) : • मरीज़ के हृदय या नाड़ी की धड़कन अधिक लगे तो शीघ्र ही डॉक्टर को बताना चाहिये । मरीज़ के रिश्तेदार कार्डियाक मोनिटर प्राथमिक तौर से देखना और समझना सीख ले तो बहुत अच्छा रहेगा। मरीज़ को श्वास अधिक हो जाए, अथवा वह अचानक फीका या भूरा पड़ जाये तो डॉक्टर या सिस्टर को तुरंत ही जानकारी देनी चाहिये । बुखार आया हो तो डॉक्टर या सिस्टर को बताना चाहिये । परिवारजनों की विशिष्ट जिम्मेदारी : मरीज़ को ठीक करने में बहुत सी चीज़ों का योगदान होता है, जिसमें परिवारजनों द्वारा दी जाने वाली सेवा महत्वपूर्ण है । मरीज़ की चिकित्सा उपरांत प्यार भरी बातें जादूई असर करती है, जिससे मरीज़ का मनोबल बढ़ता है । और उसकी ठीक होने की आंतरिक शक्ति बढ़ जाती है । Jain Education International अस्पताल में रिश्तेदारों को मरीज़ का ध्यान रखने के लिए एकएक करके दिन-रात रहना चाहिये । मरीज़ को कभी अकेला न छोडें । ऐसे समय में कई बार मरीज़ पलंग पर से नीचे गिर सकता है । आवश्यकतानुसार पलंग पर रेलिंग रखी जा सकती है। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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