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24 - दीर्घ समय तक उपयोग की जाने वाली न्यूरोलोजी की दवाई संबंधित माहिती 265 (९) जाँध की हड्डी कमजोर होने से वहाँ दर्द होता है, और कभी
फेक्चर होने से सर्जरी आवश्यक हो सकती है। (Avascular
Necrosis) (१०) टी.बी., हर्पिस जैसे संक्रमण सरलता से लग सकते है। (११) पेशाब में मवाद हो सकता है। (१२) स्वादुपिंड में संक्रमण हो सकता है । (१३) रक्त में पोटेशियम का तत्त्व कम हो जाना । (१४) स्टिरोईड अचानक बंद करने से बी.पी. बहुत कम हो जाता है।
यह कारणों से स्टिरोईड अधिक मात्रा में केवल कुछ हफ्तों तक ही दिया जाता है। यद्यपि कुछ बीमारियों में कुछ ही मात्रा में लाभ होता है और इसलिए कभी लंबे समय तक स्टिरोईड दवाई लेनी पड़ती है। नियमित डॉक्टरी सलाह अत्यंत आवश्यक है तथा निष्णात डॉक्टर की देखरेख तथा नियमित लेबोरेटरी जाँच जरुरी रहती है। ऐसे संजोगों में दीर्घ स्टिरोईड कोर्स में निष्णात डॉक्टर स्टिरोईड के दुष्प्रभाव रोकने के लिए नियमित रुप से केल्शियम, पोटेशियम, विटामिन्स तथा सजन रोकने हेतु डाइयुरेटिक दवाई निश्चित मात्रा में देते हैं । मरीज को संक्रमण न हो इसलिए योग्य सलाह सूचन दिये जाते है । आहार हेतु योग्य मार्गदर्शन दिया जाता है । समय समय पर डायबिटीस की जाँच, केल्शियम, रक्त में पोटेशियम की मात्रा, ब्लडप्रेशर चेकिंग यह सब भी निष्णात डोक्टर करते है और उसमें मरीज़ का सहयोग आवश्यक है।
उपरांत अन्य कुछ दवाईयाँ न्यूरोलोजी के केस में लंबे समय तक उपयोग की जाती हैं, जैसे कि एपिलेप्सी (मिर्गी) हेतु उपयोग होती दवाई, सिरदर्द हेतु की दवाई, पार्किन्सोनिझम हेतु की दवाई, इत्यादि... यहां कुछ दवाई के संदर्भ में संक्षिप्त में देखेंगे। (अ) एपिलेप्सी (मिर्गी) :
(१) डाइफिनाइल हाइडेन्टोइन (Diphenyl Hydantoin) : __यह दवाई से क्वचित ही अत्याधिक गंभीर प्रकार की एलर्जी शुरु होती है, जिसे स्टीवन्स-ज्होन्सन सिन्ड्रोम कहते है। इससे त्वचा पर चाठे हो कर बुखार आता है । जीवन को खतरा रहता है। इसके अलावा यह दवाई के प्रचलित दुष्प्रभावों में मसूड़ों का खराब होना या सूजन होना, चेहेरे की
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