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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ की मुख्य भूमिका है । समज सकते है कि स्टिरोईड की कमी से होने वाली गंभीर बीमारियों में बाहर से सिन्थेटिक तैयार किये हुए स्टिरोईड दिये जाते है । ब्लडप्रेशर कम हो जाने से, शॉक होने से लेकर मायेस्थेनिया क्राइसिस तक या विशिष्ट आधाशीशी (क्लस्टर हेडेक) से लेकर मस्तिष्क की सूजन (ब्रेईन इडिमा) तक और न्युरोलोजी की विविध अन्य परिस्थितिओं में स्टिरोइड जरूरत के अनुसार उपयोग करने से अच्छा परिणाम मिल सकता है । कुछ न्यूरोपथी, डिमाइलिनेटिंग बीमारियाँ (मल्टिपल स्क्लेरोसिस), ब्रेईन ट्यूमर, पोलिमायोसाईटिस, टी. बी. मेनिन्जाइटिस के कुछ केस - ऐसी अन्य बिमारीओं में स्टीरोईड दवाई की जरुरत रहती है ।
स्टीरोइड्स समूह में प्रेनिसोलोन, डेक्सामिथासोन, मिथाईल प्रेनिसोलोन मुख्य है । कुछ टेब्लेट के स्वरूप में, कुछ इंजेक्शन के स्वरूप में, तो कुछ प्रवाही के स्वरूप में मिलते है । जैसा कि आगे बताया है, यह स्टिरोइड्स दवाई का अनियंत्रित उपयोग कुछ गंभीर परिणाम भी ला सकते है ।
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लंबे समय तक स्टिरोईड दवाई लेने के दुष्प्रभाव :
(१) एसिडीटी (पेट तथा छाती में जलन होना) हो और जठर में छाले पड़े और पुराने छाले फिर से उभर आए ।
(२) रक्त में चीनी (शुगर) का प्रमाण बढ़े, डायाबिटीस हो जाए या
बढ़े ।
(३) ब्लडप्रेशर बढ जाए ।
(४) फफूंद (फूग), संक्रमण का शीघ्र असर हो और परिणामतः केन्डिडिआसिस और रिंगवर्म इन्फेक्शन जैसी बीमारियाँ हो सकती है
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(५) अत्याधिक भूख लगना, अनिद्रा होना और स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाना ।
(६) शरीर फूल जाना, वज़न अत्याधिक बढ़ जाना और मुँह, पेट और गर्दन के पीछे के भाग में चर्बी जमा होना ।
(७) कमर के और जांघ के भाग में स्नायुओं की कमज़ोरी बढने से ज़मीन पर से खड़े होने में तकलीफ ।
(८) हड्डीयां नरम हो जाने से मणके और कमर में दर्द होना ।
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