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23 - मस्तिष्क की शस्त्रक्रिया (Neurosurgery)
261 के हिस्से में उभरने का चान्स लिया जाता है, अथवा हेमरेज को खींच लेने की कोशिश की जाती है। इस प्रकार ५ से २५ प्रतिशत अधिक जीवन मिल सकता है, ऐसा व्यावहारिक अनुमान कर सकते है।
ऑपरेशन अच्छी तरह पूरा हुआ हो तो ऐसे केस में उस ओपरेशन के प्रमाण में मरीज़ को छुट्टी दी जाती है। मुख्यतः ६ से ९ वें दिन मरीज़ घर जा सकता है। खतरेवाले ऑपरेशन में सामान्यतः विलंब से छटी दी जाती है । घर जाने के बाद मरीज़ को जल्दी से चलने और कार्यरत करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है । फिजियोथेरेपी हॉस्पिटल में ही शुरु कर दी जाती है और फिर मरीज़ घर पर भी संपूर्ण ठीक न हो तब तक वह चालू रखना है।
ऑपरेशन के बाद फिर से मेडिकल उपचार में न्यूरोफिजिशियन की जरूरत पड़ती है, परंतु प्रत्येक किस्से में ऐसा होना जरूरी नहीं है।
सर्जरी से कुछ बिमारीयाँ एकदम ठीक हो जाती है, कुछ में राहत मिलती है, कुछ में ऑपरेशन के बाद थोड़े या अधिक समय के लिए दवाई चालू रखनी पड़ती है । ऑपरेशन के पहले जैसे निदान के लिए सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई. की जरूरत पड़ती है, उसी प्रकार ऑपरेशन का परिणाम कैसा आया है वह जानने के लिए कुछ केस में (मुख्यतः गांठ के केसो में) पोस्ट
ओपरेटिव सी.टी. स्कैन या एम.आर.आई. की आवश्यकता रहती है। इन सभी प्रक्रिया में मरीज़ और उसके कुटुंबीजनो को परेशान देखा जाता है। आर्थिकसामाजिक प्रश्न उन्हें परेशान कर देते हैं। श्रेष्ठ बात यह है कि ऑपरेशन के पहले और बाद में डॉक्टरो के साथ खुले दिल से चर्चा कर लेनी चाहिए और डॉक्टरो को भी स्पष्ट चित्र पहले से ही पेश करना चाहिए । एक-दूसरे के विश्वास, प्रेम और सहकार से यह कठिन मिशन पूर्ण करना चाहिए ।
इस प्रकार न्यूरोसर्जरी सिर्फ न्यूरोसर्जन का ही क्षेत्र है ऐसा नहीं है । इसमें न्यूरोफिजिशियन, न्यूरोसर्जन, फिजियोथेरापिस्ट, ओक्युपेशनल थेरापिस्ट, फिजिशियन का टीमवर्क होना चाहिए। यदि ऐसा हो तो ही मरीज़ का संपूर्ण और सही उपचार हो सकता है।
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