Book Title: Mastishk aur Gyantantu ki Bimariya
Author(s): Sudhir V Shah
Publisher: Chetna Sudhir Shah

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Page 275
________________ 256 मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ • सामान्य जानकारी : यह कहना एकदम यथार्थ है कि किसी भी प्रकार की ऐसी सर्जरी कराने से पहले निश्चिततापूर्वक निदान करना अनिवार्य है। सर्जरी की आवश्यकता और यह सर्जरी से कितना फायदा होगा उसका अंदाज निकालकर मरीज और उसके परिवारजनों को माहितगार करना न्यूरोसर्जन का फर्ज है। सर्जरी के भयस्थान हो तो उसकी भी जानकारी देनी चाहिए। ऐसे तो निदान और ऑपरेशन की आवश्यकता का निर्णय लेना न्यूरोफिजिशियन डॉक्टर के हाथ में होता है, परंतु यह आवश्यक है कि ऑपरेशन के पहले योग्य केस में न्यूरोफिजिशियन और न्यूरोसर्जन को साथ बैठकर चर्चा करनी चाहिए और जहाँ संशय हो, वहाँ अधिक जाँच करवा के निदान के बारे में संपूर्ण संतोष होने के बाद ही सभी पहेलूओं को ध्यान में रख के दोनों तजज्ञों को साथ में निर्णय लेना चाहिए। . ऑपरेशन की पद्धति अनेक प्रकार की होती है। एनेस्थेसिया में ज्यादा विकास होने से अब ऐसा कहा जा सकता है कि अधिक लंबे समय चलनेवाले और जटिल केसों में भी ऑपरेशन के कारण जिंदगी का खतरा नहि जैसा हो गया है। फिर भी अन्य सर्जरी की तुलना में मस्तिष्क की सर्जरी थोडी खतरेवाली तो होगी ही, ऐसा कहना अयोग्य नहीं है । मस्तिष्क की सर्जरी लगभग दो से चार घंटे तक चलती है, कभीकभी १६ से २० घंटे या अधिक समय तक भी चलती है। सामान्यतः अच्छे फिजिशियन के पास ऑपरेशन के लिए फिटनेस की जाँच होने के बाद एनेस्थेसिया का डॉक्टर मरीज एनेस्थेसिया के लायक-फीट है या नहीं वह तय करता है। परंतु मृत्यु का खतरा हो और समय अधिक न हो तो सब कुछ भूल कर न्यूरोसर्जन डॉक्टर जोखिम उठाकर भी इमरजन्सी ऑपरेशन करते है। उदाहरण-मार्ग दुर्घटना में मस्तिष्क का हेमरेज होना । __ मस्तिष्क के ऑपरेशन भी अनेक प्रकार के होते है। जो बीमारी हो उस तरह से अंगो का ऑपरेशन होता है । जिस अंग तक पहुँचना हो उसके अनुसार ऑपरेशन का प्लानिंग किया जाता है । मस्तिष्क के कौन से भाग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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