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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ नये संशोधन के अनुसार पार्किन्सोनिझम, एपिलेप्सी जैसी बीमारियों में यह स्टीरीओटेक्सी पद्धतिने कमाल कर दिया है । मस्तिष्क को संपूर्ण खोले बिना खोपड़ी में एक छोटा छिद्र (Burr-hole) करके मस्तिष्क में गहराई तक सूई और इलेक्ट्रोड की मदद से अति जटिल बीमारीयों का इलाज किया जा सकता है ।
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एपिलेप्सी के लिए माईक्रोसर्जरी द्वारा अतिसुंदर परिणाम मिलते है, खास तौर पर टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी में ऐसा देखा गया है । उस प्रकार स्टीरीओटेक्सी सर्जरी भी एपिलेप्सी में काम लगती है । वेगल स्टिम्युलेशन भी एक ऐसी ही छोटी प्रक्रिया है, जिसमें माइक्रोइलेक्ट्रोड द्वारा और स्टिम्युलेटर द्वारा मस्तिष्क में होनेवाले विद्युतकिय झटकों को कोम्प्युटराइझड पद्धति से रोका जा सकता है। इसके अलावा आवश्यकता हो तो लोबेक्टमी, कोमीसरोटोमी तथा कोर्पसकेलोझोटोमी जैसी बडी सर्जरी भी की जा सकती है । एक चेतासमूह से दूसरे चेतासमूह तक फैलनेवाले तरंगो को रोकने के लिए की जानेवाली ट्रान्सेक्शन सर्जरी जैसी कई प्रकार की विशिष्ट सर्जरी की जाती है ।
लेझर : इसका प्रसार क्रमशः बढ़ता जाएगा ऐसा लगता है। जिन अंगो में छेद न किया जा सके, उसे इसके तहत जलाया जा सकता है। प्रोटोनबीम भी ऐसी ही पद्धति है, जिससे रक्त के झुरमुट (A-V Malformation) को जलाया जा सकता है ।
रेडियोफिकवन्सी लीजन जनरेटर : ट्राइजेमिनल न्यूरोल्जिआ तथा ऐसी अन्य दर्दनाक बीमारियाँ और पार्किन्सोनिझम प्रकार के मुवमेन्ट डिसओर्डर्स में यह पद्धति असरकारक साबित हुई है। जिसमें नाम अनुसार रेडियोफिकवन्सी करन्ट से किसी चेता का कार्य स्थगित करके अथवा जलाकर बीमारी में राहत प्राप्त की जा सकती है ।
गामा - नाइफ और लीनीयर एक्सलरेटर : ऑपरेशन के बिना गांठ अथवा अन्य ऐसी बीमारीयों को रोकने की यह पद्धति तेजी से फैल रही है । वह अत्याधिक महँगी होने से भारत में कुछ संस्थाओं में ही उपलब्ध हैं ।
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