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16 - करोड़रज्जु के रोग (Myelopathy)
यह समझना चाहिए कि - १. करोड़रज्जु सामन्यतः कमर के मणके में होती नहीं है। अर्थात्
Lumbar One (L1) मणके से करोड़रज्जु समाप्त होती है । जिसे कोनस मेड्युलारिस कहते हैं, वहाँ से वह चेताओं में परिवर्तित होती है, जिसे Cauda Equina (घोड़े की पूंछ जैसा ज्ञानतंतुओं का झुंड) कहते हैं । केवल करोड़रज्जु के रोगो में मस्तिष्क संबंधित चिह्न नहीं होते, जैसे कि बोलना, समजना, आँख, कान, सुगंध इत्यादि ज्ञानेन्द्रिय क्रिया, मिर्गी, एक तरफा अंगो का पक्षाघात, मुँह का पक्षाघात । यह सब चिह्न होने से वह करोड़रज्जु के अलावा कोई अन्य बीमारी हो सकती हैं।
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Cross Section of the
Spinal Cord Front
करोड़रज्जु का आड़ छेद
करोड़रज्जु के रोगों के लक्षण : (१) करोड़रज्जु की तमाम संवेदना एक निश्चित स्तर के बाद कट
जाना, साथ ही दोनों पैर निष्क्रिय हो जाना, हलन चलन बंध हो जाना, मल-मूत्र रुक जाना, जैसे कि सड़क दुर्घटना से हुआ मणके का फेक्चर। कुछ संवेदनावाहक नसे कार्य करना बंद कर दे, और साथ ही नसो में दर्द होकर उसका कार्य कम हो जाए । (MyeloRadiculopathy), जैसे कि स्पोन्डिलोसिस ।
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