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(१७) मल्टिपल स्क्ले
रोसिस (Multiple Sclerosis)]
मस्तिष्क और करोड़रज्जु की बीमारियाँ, जिसमें मायलिन की परत या व्हाइट मेटर को नुकसान हुआ हो तो उसे डिमायलिनेटिंग डिसिज़ कहते हैं । मनुष्य के शरीर के चेतातंत्र को कार्य तथा रचनाकीय द्रष्टि से ग्रे-मेटर
और व्हाइट मेटर में विभाजित किया जाता है । व्हाइट मेटर को इलेक्ट्रिसिटी के वायर की तरह माना जा सकता है, जो ग्रे-मेटर के कोषों में से उद्भव होने वाले स्पंदन और आज्ञाओं को चेतातंत्र के अन्य हिस्से तक पहुँचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य करता हैं। जिस प्रकार बिजली के तार में इन्स्युलेशन के लिए बाहर परत होती है, उसी प्रकार व्हाइट मेटर में इन्स्युलेशन के लिए मायलिन की परत होती हैं । व्हाइट मेटर मायलिन को हानि पहुँचाने वाली बीमारियों को डिमायलिनेटिंग डिसिज कहते हैं। उसमें सबसे मुख्य है-अत्यंत विचित्र
और तकलीफ देनेवाला रोग मल्टिपल स्क्लेरोसिस । सरल भाषा में कहें तो किसी प्रकार की एलर्जी या मस्तिष्क की चयापचय की प्रक्रिया में गड़बड़ होने से व्हाइट मेटर को नुकसान होता है, उसे डिमायलिनेशन और ग्लायोसिस कहते हैं। यहाँ मुख्यत: मस्तिष्क, करोड़रज्जु और विशेषतः आँख के ज्ञानतंतु की तकलीफ के चिह्न शुरु होते हैं । * मल्टिपल स्क्लेरोसिस :
रोग संदर्भ में सामान्य जानकारी : • रोग का प्रमाण स्त्रियों में पुरुषों से दुगुना होता है ।
वह सामान्यतः १५ से ५० की उम्र के व्यक्तियों में देखने को मिलता है। बहुत छोटे बच्चों को और वृद्ध पुरुषों को यह सामान्यतः नहीं होता। यह रोग स्कोटलेन्ड, उत्तरीय युरोप और अमेरिका में विशेषतः देखने को मिलता है। विषुववृत्त से दूर के प्रदेशो में यह अधिक प्रचलित है । इसलिए हमारे देश में इसका प्रमाण कम है और जपान तथा साउथ अफ्रिका में भी नहीं जैसा है । विचित्र जीवनशैली के कारण हमारे यहाँ भी यह रोग बढ़ता जा रहा है।
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