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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ
उपचार :
एईड्स के मरीजों का उपचार हो सकता हैं लेकिन उसे संपूर्ण नाबूद कर सके ऐसा उपचार अभी संशोधित नहीं हुआ हैं । वर्तमान दवाईयाँ तथा उपचार पद्धति से इस रोग को आगे बढ़ने से कुछ मात्रा में रोका जा सकता है । रोगप्रतिरोधक क्षमता (CD4 Count) सुधारी जा सकती हैं ।
एईड्स की बीमारी के वाइरस के जंतुओ को नष्ट करने के लिए तीन दवाई के संयोजन में ली जाती हैं । यह दवाई मरीज के शरीर में रहने वाले अन्य संक्रमित रोग जैसे कि टी.बी., पीलिया के वाइरस की उपस्थिति तथा मरीज के लीवर, कीडनी, मस्तिष्क इत्यादि अवयवों की कार्यक्षमता के आधार पर निष्णात डॉक्टर तय करते हैं । दवाई के कम समय के और लंबे समय के दुष्प्रभाव होते हैं । मरीज को नियमित डक्टर को मिलकर दुष्प्रभाव कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए ।
एन्टिट्रोवायरल दवाई (ART) नियमित लेने से मरीज लंबे समय तक तंदुरस्त और स्वस्थ जीवन व्यतित कर सकता हैं । दवाई नियमित ली जाए तो उसकी असर लंबे समय तक रहती है । अगर मरीज दवाई लेने में अनियमित रहें तो दवाई असरकारक नहीं रहती है । इसलिए ऐसे केस में बीमारी नियंत्रित करने का काम बहुत कठिन हो जाएगा । इन दवाई का मासिक अंदाजित खर्च एक हजार से दस हजार रूपये जितना होता है ।
एच.आई.वी. संक्रमण के कारण प्राथमिक अवस्था में अधिकतर मरीज की मृत्यु नहीं होती है । यह मुख्यतः याद रखना चाहिए कि एईड्स के मरीजों की मृत्यु अधिकतर सूक्ष्म जंतु और संक्रमित जीवाणुओं से होती हैं । अगर इन दोनों जाति के जंतुओं का योग्य निदान शीघ्रता से हो और त्वरित उपचार किया जाए तो मरीज को ज्यादा लाभ हो सकता हैं ।
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